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होता है । इस योग में जन्म लेनेवाला धन, स्त्री-पुत्रादि से युक्त, सुखी, विद्वान्, राजमान्य और धर्मात्मा होता है । मत्स्य योग
___ लग्न और नवम भाव में शुभग्रह तथा पंचम में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के ग्रह और चतुर्थ, अष्टम में पापग्रह हों तो मत्स्य योग होता है। कूम यो
शुभग्रह ५।६।७वें भाव में और पापग्रह ११३।११वें स्थान में अपने-अपने उच्च में हों तो कूर्म योग होता है । इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति राज्यपाल, मन्त्री, धीर, धर्मात्मा, मुखिया, गुणी, यशस्वी, उपकारी, सुखी और नेता होता है । खड्ग योग
__नवमेश द्वितीय में और द्वितीयेश नवम भाव में तथा लग्नेश केन्द्र या त्रिकोण में हो तो खड्ग योग होता है। इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति बुद्धिमान्, शास्त्रज्ञ, कृतज्ञ, चतुर, धनी, वैभव-युक्त और शासनाधिकारी होता है । लक्ष्मी योग
लग्नेश बलवान् हो और भाग्येश अपने मूल-त्रिकोण, उच्च या स्वराशि में स्थित होकर केन्द्रस्थ हो तो लक्ष्मी योग होता है। इस योगवाला जातक पराक्रमी, धनी, यशस्वी, मन्त्री, राज्यपाल एवं गुणी होता है । कुसुम योग
स्थिर राशि लग्न में हो, शुक्र केन्द्र में हो और चन्द्रमा त्रिकोण में शुभग्रहों से युक्त हो तथा शनि दशम स्थान में हो तो कुसुम योग होता है। इस योग में उत्पन्न व्यक्ति सुखी, भोगी, विद्वान्, प्रभावशाली, मन्त्री, एम. पी., एम. एल. ए. आदि होता है। कलानिधि योग
बुध शुक्र से युत या दृष्ट गुरु २।५वें भाव में हो या बुध शुक्र की राशि में स्थित हो तो कलानिधि योग होता है । इस योगवाला गुणी, राजमान्य, सुखी, स्वस्थ, धनी और विद्वान् होता है। कल्पद्रुम योग
लग्नेश तथा लग्नेश जिस राशि में हो उस राशि का स्वामी तथा वह जिस राशि में हो उसका स्वामी और उनके नवांशपति ये सब यदि केन्द्र, त्रिकोण या अपने-अपने उच्च में हों तो कल्पद्रुम योग होता हैं। इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति ३२ वर्ष तृतीयाध्याय
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