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________________ मुसल योग समस्त ग्रह स्थिर राशियों में हों तो मुसल योग होता है । इस योग में जन्म लेनेवाला जातक मानी, ज्ञानी, धनी, राजमान्य, प्रसिद्ध, बहुत पुत्रवाला, एम. एल. ए. एवं शासनाधिकारी होता है। नल योग समस्त ग्रह द्विस्वभाव राशियों में हों तो नलयोग होता है। इस योगवाला जातक हीन या अधिक अंगवाला, धन संग्रहकारी, अतिचतुर, राजनीतिक दाव-पेंचों में प्रवीण एवं चुनाव में सफलता प्राप्त करता है । माला योग __ बुध, गुरु और शुक्र ४।७।१०वें स्थान में हों और शेष ग्रह इन स्थानों से भिन्न स्थानों में हों तो माला योग होता है। इस योग के होने से जातक धनी, वस्त्राभूषणयुक्त, भोजनादि से सुखी, अधिक स्त्रियों से प्रेम करनेवाला एवं एम. पी. होता है। पंचायत के निर्वाचन में भी उसे पूर्ण सफलता मिलती है। सर्प योग रवि, शनि और मंगल ४।७।१०वें स्थान में हों और चन्द्र, गुरु, शुक्र और बुध इन स्थानों से भिन्न स्थानों में स्थित हों तो सर्प योग होता है। इस योग के होने से जातक कुटिल, निर्धन, दुखी, दीन, भिक्षाटन करनेवाला, चन्दा मांगकर खा जानेवाला एवं सर्वत्र निन्दा प्राप्त करनेवाला होता है । गदा योग समीपस्थ दो केन्द्र ११४ या ७।१० में समस्त ग्रह हों तो गदा नामक योग होता है। इस योगवाला जातक धनी, धर्मात्मा, शास्त्रज्ञ, संगीतप्रिय और पुलिस विभाग में नौकरी प्राप्त करता है। इस योगवाले जातक का भाग्योदय २८ वर्ष की अवस्था में होता है। शकट योग लग्न और सप्तम में समस्त ग्रह हों तो शकट योग होता है। इस योगवाला रोगी, मूर्ख, ड्राइवर, स्वार्थी एवं अपना काम निकालने में बहुत प्रवीण होता है। पक्षी योग चतुर्थ और दशम भाव में समस्त ग्रह हों तो विहग-पक्षी योग होता है । इस योग में जन्म लेनेवाला जातक राजदूत, गुप्तचर, भ्रमणशील, ढीठ, कलहप्रिय एवं सामान्यतः धनी होता है। शुभग्रह उक्त स्थानों में हों और पापग्रह ३।६।११वें स्थान में हों तो जातक न्यायाधीश और मण्डलाधिकारी होता है । तृतीयाध्याय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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