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अट्ठाईस वर्ष की आयु का विचार
अष्टमेश पापग्रह हो और उसे गुरु देखता हो तथा पापग्रहों से दृष्ट जन्मराशीश अष्टम स्थान में स्थित हो तो जातक की अट्ठाईस वर्ष की आयु होती है ।
१२रा.
च. ३१
१
४मं.
(१०गु.
को
उनतीस वर्ष की आयु का विचार
चन्द्रमा शनि का सहायक हो ( स्थान सम्बन्धी या दृष्टि सम्बन्धी ), सूर्य अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक की आयु उनतीस वर्ष की होती है ।
सत्ताईस वा तीस वर्ष की आयु का विचार
लग्नेश और अष्टमेश के मध्य में चन्द्रमा स्थित हो और बृहस्पति द्वादश भाव में स्थित हो तो जातक की आयु २७-३० वर्ष की होती है ।
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चं. ६
बत्तीस वर्ष की आयु का विचार
अष्टमेश केन्द्र में हो और लग्नेश निर्बल हो तो जातक की आयु तीस या बत्तीस वर्ष होती है।
यदि क्षीण चन्द्रमा पापग्रह से युक्त हो, अष्टमेश केन्द्र में या अष्टम स्थान में स्थित हो एवं लग्न में पापग्रह स्थित हो और लग्न निर्बल हो तो जातक की बत्तीस वर्ष की आयु होती है।
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भारतीय ज्योतिष
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