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________________ १२। ०। । ० ६। ०। ७।३४ ५।२९।५२।२६ शेष ५४३०=१५० + २९% १७९ x ६० = १०७४०+५२ = १०७९२x ६० = ६४२५२० + २६ = ६४२५४६ : १०८०० = ५९ शेष ५३४६ x ६० = ३२०७६० १०८०० = २९ लब्धि, यहाँ शेष का त्याग कर दिया। अतः सूर्य का उच्चबल ०५९।२९ हुआ। चन्द्र स्पष्ट ११ ०॥३४॥३४ नीच राश्यंश ७। ३। ०।२४ ५।२७।३४।१० शेष ५४३० = १५० + २७ = १७७४६० = १०६२० + २४ = १०६४४ १०६४४४६०-६३८६४० + १० = ६३८६५०:१०८०० = ५९, शेष १४४०४६० =८६४००:१०८०० =८ अर्थात् ०१५९८ चन्द्रमा का उच्चबल हुआ। इसी प्रकार अन्य ग्रहों के उच्चबल का साधन कर जन्मपत्री में स्पष्ट उच्चबल चक्र लिखना चाहिए। नीचे प्रत्येक ग्रह के उच्च और नीच राश्यंश दिये जाते हैं। समस्त ग्रहों के उच्चबल सरलतापूर्वक निकालने के हेतु सारणियाँ दी जा रही हैं। इनपर से समस्त ग्रहों के उच्चबल का साधन किया जा सकेगा। उच्च-नीच राश्यंश बोधक चक्र | सूर्य चन्द्र | भौम | बुध गुरु शुक्र शनि राहु केतु ग्रह - उच्च राश्यंश १ 19 राश्यंश युग्मायुग्मबल साधन चन्द्र और शुक्र सम राशि-वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर एवं मीन या सम राशि के नवांश में हों तो १५ कला बल होता है । यदि ये ग्रह सम राशि और सम नवांश दोनों में हों तो ३० कला बल होता है और दोनों में न हों तो शून्य कला बल होता है। सूर्य, भौम, बुध, गुरु और शनि विषम राशि या विषम नवांश में हों तो १५ कला बल, दोनों में हों तो ३० कला बल और दोनों में ही न हों तो शून्य कला युग्मायुग्म बल होता है। भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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