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________________ होते हैं, लेकिन बात जानने की यह रह जाती है कि ये नौ नवांश प्रति राशि में किनकिन राशियों के होते हैं। इसका नियम यह है कि मेष में पहला नवांश मेष का, दूसरा वृष का, तीसरा मिथुन का, चौथा कर्क का, पाँचवाँ सिंह का, छठा कन्या का, सातवाँ तुला का, आठवां वृश्चिक का और नौवाँ धनु राशि का होता है। इस नौवें नवांश में मेष राशि की समाप्ति और वृष राशि का प्रारम्भ हो जाता है, अतः वृष राशि में प्रथम नवांश मेष राशि के अन्तिम नवांश से आगे का होगा। इस प्रकार वृष में पहला नवांश मकर का, दूसरा कुम्भ का, तीसरा मीन का, चौथा मेष का, पांचवां वृष का, छठा मिथुन का, सातवाँ कर्क का, आठवाँ सिंह का और नौवाँ कन्या का नवांश होता है । मिथुन राशि में पहला नवांश तुला का, दूसरा वृश्चिक का, तीसरा धनु का, चौथा मकर का, पांचवां कुम्भ का, छठा मीन का, सातवाँ मेष का, आठवां वृष का और नौवाँ मिथुन का नवांश होता है। इसी तरह आगे-आगे गिनकर अगली राशियों के नवांश जान लेना चाहिए। ___ गणित विधि से नवांश निकालने का नियम यह है कि अभीष्ट संख्या में राशि अंक को ९ से गुणा करने पर जो गुणनफल आवे, उसके अंशों में ३।२० का भाग देकर जो नवांश मिले उसे जोड़ देने से नवांश आ जायेगा। लेकिन १२ से अधिक होने पर १२ का भाग देने से जो शेष रहे वही नवांश होगा। नवांश बोधक चक्र मे. वृ. मि.क. सिं.क. तु. वृ. ध. म. कुं. मी. अंश. क. । | ११० ७४१/१०/०४/११०७/४ ३२२० । Pाण وامه *: ام اس اس ایام امام امام | ماه ادامه به اساه امام های امراهها ام اب اس های امراه امام (12ماه ا ام اب ایساهام امراه امام مراسم اسماء امام اه ایم امام امام ११० ७१३।२० । १६४० नवांश कुण्डली बनाने की विधि-लग्न स्पष्ट जिस नवांश में आया हो वही नवांश कुण्डली का लग्न माना जायेगा और ग्रहस्पष्ट द्वारा ग्रहों का ज्ञान कर जिस नवांश का जो ग्रह हो, उस ग्रह को राशि में स्थापन करने से जो कुण्डली बनेगी, वही नवांश कुण्डली होगी। भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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