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लग्न निकालने की सुगम विधि-सारणी द्वारा जिस दिन का लग्न बनाना हो, उस दिन के सूर्य के राशि और अंश पंचांग में देखकर लिख लेना चाहिए । आगे दी गयी लग्न-सारणी में राशि का कोष्ठक बायीं ओर और अंश का कोष्ठक ऊपरी भाग में है। सूर्य के जो राशि, अंश लिखे हैं उनका फल लग्न-सारणी में अर्थात् सूर्य को राशि के सामने और अंश के नीचे जो अंक संख्या मिले उसे इष्टकाल के घटी, पलों में जोड़ दे, वही योग या उसके लगभग जिस कोष्ठक में मिले, उसके बायीं ओर राशि का अंक और ऊपरी अंश का अंक होगा, यही राश्यादि लग्न मान होगा। राशिक द्वारा कला-विकला का प्रमाण भी निकाल लेना चाहिए ।
उदाहरण-वि. सं. २००१ वैशाख शुक्ला २ सोमवार को २३ घटी २२ पल इष्टकाल का लग्न बनाना है। इस दिन पंचांग में सूर्य ०।१०।२८।५७ लिखा है । इसको एक स्थान पर लिख लिया। लग्न-सारणी में शून्य राशि अर्थात् मेष राशि के सामने और १० अंश के नीचे ४।७।४२ संख्या लिखी है, इसे इष्टकाल में जोड़ा
२३१२२। • इष्टकाल में
४। ७।४२ फल को जोड़ा
२७।२९।४२ इस योग को पुनः लग्न सारणी में देखा पर २७।२९।४२ तो कहीं नहीं मिले; किन्तु सिंह राशि के २३वें अंश के कोष्ठक में २७।२४।५५ संख्या मिली। इसी राशि के २४वें अंश के कोष्ठक में २७।३६।६ अंकसंख्या है, यह अंकसंख्या अभीष्ट योग की अंकसंख्या से अधिक है, अतः २३ अंश सिंह राशि के ग्रहण करना चाहिए। अतएव लग्न का मान ४।२३ राश्यादि हुआ। कला, विकला निकालने के लिए २३वें और २४वें कोष्ठक के अंकों का एवं पूर्वोक्त योगफल और २३वें अंश के कोष्ठक के अंशों का अन्तर कर लेना चाहिए । द्वितीय अन्तर की संख्या को ६० से गुणा कर गुणनफल में प्रथम अन्तर-संख्या का भाग देने पर कलाएँ आयेंगी; शेष को पुनः ६० से गुणा कर उसी संख्या का भाग देने से विकला आयेंगी । प्रस्तुत उदाहरण में
२७।३६॥ ६-२४ अंश के को. में से २७।२४।५९।-२३ अंश के को. को घटाया
१११७ इसे एकजातीय किया १११७४६० ६६०+७=
६६७ २७१२९।४२ योगफल में से २७।२४।५९-२३ अंश के को. को घटाया
४।४३ इसे एकजातीय किया
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भारतीय ज्योतिष
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