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२७ योगों के नाम ये हैं-(१) विष्कम्भ (२) प्रीति ( ३ ) आयुष्मान् (४) सौभाग्य (५) शोभन ( ६ ) अतिगण्ड (७) सुकर्मा (८) धृति (९) शूल (१०) गण्ड ( ११) वृद्धि ( १२) ध्रुव (१३) व्याघात (१४) हर्षण (१५) वज्र (१६) सिद्धि (१७) व्यतीपात (१८) वरीयान् (१९) परिघ (२०) शिव ( २१ ) सिद्ध ( २२ ) साध्य ( २३ ) शुभ ( २४ ) शुक्ल ( २५) ब्रह्म ( २६) ऐन्द्र (२७) वैधृति ।
योगों के स्वामी-विष्कम्भ का स्वामी यम, प्रीति का विष्णु, आयुष्मान् का चन्द्रमा, सौभाग्य का ब्रह्मा, शोभन का बृहस्पति, अतिगण्ड का चन्द्रमा, सुकर्मा का इन्द्र, धृति का जल, शूल का सर्प, गण्ड का अग्नि, वृद्धि का सूर्य, ध्रुव का भूमि, व्याघात का वायु, हर्षण का भग, वज्र का वरुण, सिद्धि का गणेश, व्यतीपात का रुद्र, वरीयान् का कुबेर, परिघ का विश्वकर्मा, शिव का मित्र, सिद्ध का कार्तिकेय, साध्य की सावित्री, शुभ की लक्ष्मी, शुक्ल की पार्वती, ब्रह्म का अश्विनीकुमार, ऐन्द्र का पितर एवं वैधृति की दिति हैं।
करणे-तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं, अर्थात् एक तिथि में दो
विष्कम्भः प्रीतिरायुष्मान् सौमाग्यः शोभनस्तथा । अतिगण्डः सुकर्मा च धृतिः शूलस्तथैव च ॥ गण्डो वृद्धिर्भुवश्चैव व्याघातो हर्षणस्तथा । वज्रः सिद्धियंतीपातो वरीयान् परिधः शिवः ॥
साध्यः सिद्धः शुभः शुक्लो ब्रह्मेन्द्रौ वैधृतिस्तथा ॥ योगों का त्याज्यकाल
परिघस्य त्यजेदर्द्ध शुभकर्म ततः परम् । त्यजादौ पञ्च विष्कम्मे सप्त शूले च नाडिकाः ॥ गण्डव्याघातयोः षट्कं नव हर्षणवज्रयोः । वैधृतिं च व्यतीपातं समस्तं परिवर्जयेत् ॥ विष्कम्भे घटिकास्तिस्रः शूले पञ्च तथैव च ।
गण्डातिगण्डयोः सप्त नव व्याघातवज्रयोः ॥ परिघयोग का आधा भाग त्याज्य है, उत्तरार्ध शुभ है। विष्कम्भयोग की प्रथम पाँच घटिकाएँ; शूलयोग की प्रथम सात घटिकाएँ; गण्ड और व्याघात योग की प्रथम छह घटिकाएँ; हर्षण और वज्र योग की नौ घटिकाएँ एवं वैधृति और व्यतीपात योग समस्त परित्याज्य हैं। मतान्तर से विष्कम्भ के तीन दण्ड, शूल के पाँच दण्ड, गण्ड और अतिगण्ड के सात दण्ड एवं व्याघात और वज्र योग के नौ दण्ड शुभ कार्य करने में त्याज्य हैं।
कृत्यचिन्तामणि के अनुसार शुभ कार्यों में साध्य योग का एक दण्ड, व्याघात योग के दो दण्ड, शूलयोग के सात दण्ड, वज्रयोग के छह दण्ड एवं गण्ड और अतिगण्ड के नौ दण्ड त्याज्य हैं। २. बवबालबकौलवतैतिलगरवणिजविष्टयः सप्त ।
शकुनि चतुष्पदनागकिंस्तुध्नानि ध्रुवाणि करणानि ॥
भारतीय ज्योतिष
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