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________________ १६ पट्टावली - समुच्चयः महगिरि सुहत्थि गुपासुंदरं च सामज्ज खं दिलायरिजं ias मित्तं धम्मं च' सिवियर मज्जरक्खि सत्तकोडिनामे #1 ॥११॥ बीए तिवीस वइरं च, भद्दगुत्तं सिरिगुत्तं सूरिं पणमामि पूसमित्तं च ॥ पढम मुए वीस जुगपवरे ॥१२॥ नागहत्थि च रेवइमित्तं ॥ भूइदिन्नियं कालयं वंदे ॥१३॥ जिरणभदं वंदिमो उमासाई || मादर संभूइ धम्मरिसिं ॥ १४ ॥ धम्मघोसं च विरणयमिर्च च II सीहं नागज्जुणं, सिरिसचमित्त हारिलं, पुसमित्तं संभूइं जिट्टंग फग्गुमित्तं, 15 सिरि सीलमित्त रेवइ - मित्तं सूरि सुमिरणमित्त हरिमित्तं ||१५|| 10 इय सब्बोदयजुगपवर सूरियां चरणसंजूए वंदे ॥ चउत्तर दुसहस्सा, दुष्पसदंते सुहम्माई ॥१६॥ इय सुहम्म जंबू तब्भव सिद्धा एगावयारिणो सेसा ॥ सडूदुजोअण मज्झे जयंतु दुभिक्खडमरहरा ॥१७॥ जुगपवर सरिस सूरी. दुरीकय भवियमोह तमपसरे ॥ वंदामि सोलसुत्तर इगदस लक्खे सहस्सेय ||१८|| पंचमरम्म परण्वन्नलक्ख परणवन्नसहस कोडी ॥ पंचसयकोडि पन्ना, नमामि सुचरण सयलसूरी ॥ १६ ॥ तह सत्तरिकोडिलक्खा, नवकोडिसय बार कोडियं 11 छप्पन्न लक्ख बत्तीस - सहस्स एगूरण दुनिया ||२०|| वह साल कोडिलखा, तियकोटिसहस्सा तिनिकोडिसया ॥ सत्तरस कार्ड चुलसी लक्खा सुसावगाणं तु ||२१|| पणतीसकोडिलक्खा, सुसाविया कोडिसहस्स वारणउई || कोडिसया बत्तीस कोड तह बारम्भहिया ||२२|| एवं देविदनयं, सिरविजयाद धम्मकीत्तिपयं ॥ वीरजिण पवयण ठिई. दूसमसंचं गमह निच्वं ॥ २३ ॥ ॥ इय दुसमाकाल सिरि समरणसंघ थयं ॥ 20 Jain Education International For Private & Personal Use Only 25 www.jainelibrary.org
SR No.002624
Book TitlePattavali Samucchaya Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay, Gyanvijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size11 MB
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