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विरहितम् ]
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नन्दीश्वरद्वीपस्तोत्रम् ।
[ ११३ ] नंदीश्वरद्वीपस्तोत्रम्।
वंदिय नंदियलोयं जिणविसरं विमलकेवलालोयं । नंदीसरचेइयसंथवेण थोसामि तं चेव ॥१॥ जोयणकोडिसय तिसटू चउरसी लक्खवलयविक्खंभो । अटुमदीवो नंदोसरु त्ति सइविलसिरसुरोहो ॥ २ ॥ तत्थ हु मज्झे चउरो दिसासु अंजणगिरी धवलवण्णा । जोयण सहस्स चुलसीइ सूसिया सहस्समवमाढा ॥३॥ भूमितले दससहसा चउणवइसयसहस्समुवरितले । पिहुला अडवीसं सतिगं व दसंसो उ खयवुडी ॥४॥ पुवदिसि देवरमणो निच्चुज्जोओ य दाहिणदिसाए ॥ अवरदिसाए उ सयंपभ-रमणिज्जो उत्तरे पासे ॥ ५ ॥ अंजणगाण चउद्दिसि जोयणलक्खमि लक्खविक्खंभा । पुक्खरिणीओ सहस्सवेहा निम्मच्छसच्छजला ॥ ६ ॥ नंदिसेण अमोहा य गोतुभा य ३ सुदंसणा' ४ ॥ नंदुत्तरा य नंदा सुनंदा नंदिवद्धणाः ॥ ७ ॥ भद्दा विसाला कुमुया बारसी पुंडरीमिगी। विजया य वैजयंती जयंती अपराजिया ॥ ८ ॥ पुन्वा य कमा नाना पुक्खरिणीणं तओ य पंचसए । गंतूण लक्खदीहा वणसंडा पंचसयपिहुला ॥ ९ ॥ पुवेण असोगवणं दाहिणओ ताण सत्तिवण्णिवणं । चंपगवणमवणुत्तरेणु सव्वाणुभूअवणं ॥ १० ॥