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सूरिप्रणोतम् ]
पञ्चकल्याणकस्तोत्रम्
सिज्जंसजम्म सुव्वयनाणं बारसिहि दिक्ख सेयंसे । तेरसि चउदसि जम्मो पनरसि दिक्खा य वसुपुज्जे ॥ १२ ॥ सियबिय चउत्थि अमि चवणं अरमल्लिसंभवजिणागं । बारसि मुक्खो मल्लिस्स जयइ मुणिसुव्वयवयं च ॥ १३ ॥ चित्ताइ चउत्थि पासे चवणं नाणं च पंचमी चवणं । ससिणो उसमे अट्ठमि जम्मवया सुद्धतइआणं ॥ १४ ॥ कुंथूनाणं पंचमि सिद्धी संभव - अनंत - अजियाणं । नवमी मुक्खो सुमइस्स नाणमिक्कारसीईए || १५ ॥ तेरसि जम्मो वीरे पुण्णिम पउमस्स नाग महबहुले । इसाह पडिवि बीआ कुंथू तह सीयले मुक्खो ॥ १६ ॥ पंचमिहि कुंथुदिक्खा सीयलचुइ छट्ठि दसमि मुक्खो । तेरसि जम्मो चउदसि दिक्खानागा अनंतस्स ॥ १७ ॥ चउदसि जाओ कुंथू सियचउत्थि चुओभिनंदणो जयइ । सत्तमि धम्मोवि चुओ अमि अभिनंदणो सिद्धो ॥ १८ ॥ जम्मट्ठमि नवमि लयं सुमइजिणे दसमि केवलं वीरो । बारसि तेरसि चुइ विमले अजिय अह जिट्ठबहुलम्म ॥ १९ ॥ छट्टि चुई सेयंसे सुव्वयजम्मटुमी नवमि मुक्खो । जम्मो मुक्खो तेरसि चउदसि दिक्खा य संतिस्स ॥ २० ॥ सियपंचमीइ मुक्खो धम्मे नवमी य वासुपूज्जचुई । बारसि सुपासम्मो तेरसि दिक्खा सुपासस्स ॥ २१ ॥ आसाढाइ उत्थी उसभचुई सत्तमी विमलमुक्खो । नामिदिक्खा नवमीए सियछट्ठीइ वीरजिणचवणं ॥ २२ ॥
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