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एक्कारस- गणहरिहिं
समणीणं असम-गुणगुण-सत्तर- सहस-जयछत्तीस सहस वुहिय
[३२८४ ] असम-भत्तिण विहिय-पय-सेवु
अभिहाणिण महिय-पउ तियसासुर-नर-निवहनव-कंचण-कमलहं उवरि अणुस संत अणुगमिर
नेमिनाहचरिउ
तह मुणीण अद्वार - सहसिहि । निहिहिं सहस-चालीस - संखिहिं ॥ इग-सावय-लक्खेण । साविय लक्ख - तिगेण ॥
[३२८५]
विउत्तिण सुरिण गोमेह
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विहिय-भत्ति कुसुमंडि - देविहिं । नहयरेहिं पडिवन्न - सेविहिं ॥ विणिवेसंतु पयाई । बहुविह भविय सयाई ॥
[३२८६ ]
कमिण पत्तउ धरणि-तिलयम्मि
सोरge मंडण हरियंदण - अगुरु- सिरिखंड - नाय - पुन्नाय - मणहरि ॥ पसरिय-धर - संताव- हर वहु-निज्झर झंकारि । अंक- पुलय-वेरुलिय-पह - अहरिय-तम- पभारि ॥
वउल-तिलय सहयार - सुंदरि ।
अह आसण - कंप-वससविहिम्मि पहुत्त सुरअह जह-अहिगारिण कयइ frees सीहासणि खविय -
[३२८७]
पतु रेवय- सिहरि - सिहरम्मि
मुणिय- चरम - कल्लाण सामिहि । असुर - नाह सिव- अग्गगामिहि ॥ समवरसणि जय नाहु | अंतर- रिउ - वावाहु ॥
३२८४. ४. समणीण वि ८. क. इ added marginally after छत्तीस; ख.
छत्तीस सहसजुय; ख. लक्ख तिग सावियणिणदक्खेण
३२४७ ९. After this line क. reads ओं,
[ ३२८४
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