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दोवायणअवमाणु
[३१८१]
तयणु स- करुणु भणइ वलएवु
नणु भाय इह किमु भणहुं किंतु चरिम चारित - रयणिण । होयव्वु अवस्सु तई कहिं चि ठाणि देवय-विसेसिण || ता कत्थ-वि विसमहं दसहं तई हउं रक्खेयव्वु । safa पडिवज्जेवि इहु तुरिउ कुणइ काय ॥
३१८४ ]
[३१८२]
ते - वि पिट्ठय- मइर - किन्नाई
छहि मासिहि विविण-तरु- कुसुम-फलिहि मीसिय-सुगंधय । कार्यविरि-गुहं गय हूय मइर अच्चंत महुरय ॥ अवरम्मि उ अवसरि विहिहि वसिण पहुत्ति वसंति । रेवय- गिरि- उज्जाणि जदु- कुमर वग्ग संपत्ति ॥
[३१८३]
विज्ज- जोगिण नरिण एगेण
हिंडंतिण कह-कह - वि पुव्वुझिय असम-रस तयणतरु तिण पीय सुर आगय संवाइ णु वि तहिं
[३१८४]
aणु तेहिं विपीय-मइरेहिं
हिंडतिर्हि विहि-वसिण गिरि-गुहाए सो चेव तावसु । जिण-पणीय- संभावि -अवजसु ॥ दाह-जणिय-पावस्सु ।
दीवाणु तव सुसिउ
वीत वारवर -पुरि
दिउ उस्सग्गेण वि उ पेक्खिरु समुह महिस्सु ॥
३१८१. ५. क. देव्वयं. ३१८३. २. क. हिंडंतिण,
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ror-aur- परिसुसिय-वयणिण । मइर दिट्ठ सुक्कंठ - हियइण ॥ आ-कडि - कंठ - पमाण | जायव - कुमर - पहाण ॥
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