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३०४१ ]
[३०३८] - दियर दाण-करिराय
नेमित्तंतु
संसार- सरि-सरह मई मेल्लिव कहिं गयउ विलवंती राइमइ तुट्ट-सलिल सरि सफरि जिम्व तल्लोवेल्लि करेइ ॥
कुमरि वृतंतिण तेण सिरिआगंतुण राइमइ विरहाउरु मणु थिरु करिवि होस तुह अवरो विवरू
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सुगर-नयर-संपत्ति-संदण । समुद विजय - सिवदेवि-नंदण ॥ धरणीयfल निवडे ।
[३०३९]
परियण - वयण - विन्नाय -
ईसीसि विहसिवि भणिउ अ - विड्ढिr गय-रसिण जो पडिवज्जिव निय-मुहिण रहु वालाविव धावण
उग्गसेण नरवरिण तक्खणि । भणिय वच्छि जय-पवर-लक्खणि ॥ दुरिण चयसु विसाउ । पयडिय - गरुय पसाउ ॥
[३०४०]
एत्थ - अंतरि सहिय वग्गेण
किं करेसि सहि नेमि - कुमरिण । परिविमुक्क पुरिसाहिमाणिण ॥ आगंतु वि इह एम्व । वलिउ पवंगमु जेम्व ॥
[३०४१]
तु विस्स दइउ सो को- वि जो सयल-भ्रुवणब्भहिउ समुवह सिय-तियस - गुरु तिहुयण - कामिणि-मण-हरणु विविह-रणंगण-निज्जिणिय- नरवइ-कय- सम्माणु ॥
३०३९. ४. क. राइमई.
असम - रूव-लायन्न- रिद्धिण । भुवण-षयड-ससि-विमल - बुद्धिण || निम्मल - गुणहं निहाणु ।
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