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________________ ६६८ नेमिनाहचरिउ [ २९९२ [२९९२] ___ एम्ब नेमिण ति-जय-तिलएण एगेण वि सोलस वि तरुणि-सहस तह कह-वि रंजिय । जह गायहिं तसु जि पर सु-चरियाइं गुरु-भत्ति-भाविय ॥ तह उब्भिय-भुय-लय-जुयल- मज्झि कुमारु करेवि । नच्चहिं मइरा-पाडलिय- लोयण करणु धरेवि ॥ [२९९३] ___एत्थ-अंतरि हरिहि मणु मुणिवि आलिंगिउ ताहिं पहु सामिणा वि विगयाणुरागिण । आलिंगिय ताउ अह भणिउ किण वि वर-तरुणि-रणिण ॥ भुय उक्खिविउण जय-पहुहु सविहि जहा - किमणेण । पर-रमणी-आलिंगणिण अपय-किलेसयरेण ॥ [२९९४] कज्जु जय तुह काम-कीलाए ता परिणहि किं-पि वर- तरुणि-रयणु जिम्ब हवहि सुहियउ । जं दइयहं विणु जगु वि गेह-धम्मि धुवु हवइ दुहियउ॥ गेहासमु पालंतयह उसह-जिणह हुय सिद्धि । भरहह अंतेउर-ठियह हुय वर-नाण-समिद्धि ॥ [२९९५] संति-कुंथुहि अर-जिणेणावि चउसहि-अंतेउरिय- सहस-संग-सुहु लहिवि अणुदिणु । कम-जोगिण सरय-ससि- किरण-विमल चरणु वि चरेविणु॥ किं न संपाविउ सिद्धि-सुह- आहिवच्चु निरवज्जु । जो उ कलत्त-परिग्गहु वि न कुणइ धुवु सु अणज्जु ॥ २९९४. ६. क. गेहसमु. २९९५. ६. कि नं. ८. क. जो कलत्त Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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