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________________ ६३९ २८६७ ] कण्हजरसंधविग्गहु [२८६४] अह विसेसिण कुविउ जरसंधु अग्भिट्टइ हलहरह जुज्झिउं च चिर-कालु सत्तिण । तह पहरइ जिह मुसलि मम्म-घाय-विहुरिइण गत्तिण ॥ सोणिउ मुह-कुहरिण वमइ मुयइ दीह नीसास । तयणंतरु मगहाहिवह किं-चि वि पूरिय आस ॥ [२८६५] किंतु मुसलिण पत्त-चेयणिण निसिअग्ग-सर-धोरणिहिं सव्व-अंगु जरसंधु सल्लिउ । एत्तो य जणद्दणिण गरुड-वाणु नियइल्लु मिल्लिउ ॥ एगुणहत्तरि वि.हु मगहवइ-सुय खणमित्तेण । गमिय कयंतह पाहुणय जज्जरिइण गत्तेण ॥ [२८६६] तेसि मरणिण जाय-विच्छाउ परिवियलिय-रायसिरि दलिय-दप्पु जरसंधु नरवइ । अरि गोव मरेहि धुवु इय भणंतु हरि-सविहि आवइ ॥ तयणु पयंपइ कण्हु - अरि मूढ निलक्खण वंग । पेक्खंतो वि अणत्थ-सय दुच्चिट्ठिय सव्वंग ॥ [२८६७] किं न अज्ज-वि मुणहि अप्पाणु कि न गच्छहि निय-नयरि किं न पियहि सीयलई पाणिय । कि न वासहि नियय-घरु किं न रमहि नियइल्ल रमणिय ॥ अहव कु दोसु हयास तुह मह रणि हुक्कंतस्सु । दुकय-परव्वसु पाहुणउ न हवइ कु कयंतस्सु॥ २८६५ २ क. ख निसिउग्ग; क. सिर'. २८६६. ४. क. मरेहिं.७. क. चंग. २८६७ ३. ५. क. ख. किन्न. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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