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________________ ५३५ २३५८ ] नवमभवि नेमिण्हवणु [२३५२] सो वि वाएइ जोयण-मुहं सुह-मणो सुणइ घंटं सुघोसं जहा सुर-यणो । तीए पडिसह-+सम्मद-रहसुटिओ सेस-घंटा-गणेणं[]खोणि-हिओ ॥ २३५३] सग्गि सयले वि सो व[-]उन्जिभिओ देव-देवी-यणो ताव मणि विम्हिओ। तक्खणुप्पन्न-संखोह-विक्खभणं कहइ रि[]णाणणो तयणु जिण-जम्मणं ॥ [२३५४] इय समायन्निऊणं लहुं +सुर-जणा सेस-कज्जाइं मोत्तूण हरिसिय-मणा । के-वि करि-तुरय-नर-मयर-पटि-ट्टिया अवरि हरि-हरिण-सहूल-सिहि-संठिया ॥ [२३५५] अन्नि क-वि कुंच-रह-सरह-वद्धासणा पसरियासेस-दिसि-तेय-उब्भासणा। के-वि वर-वइर-सारं विमाणं गया विहिय-सिंगार-बहु-अच्छरा-परिगया ॥ अवरि मणि-जाण-जंपाणमारूढया देव-बग्गा समग्गा वि संबूढया । तयणु मणि-थोर-थमावली-सोहयं पसरियासेस-दिसि-वलय-उज्जोइयं ॥ [२३५७] किंकिणी-मुहल-धय-मालिया-मंडियं भुवण-लच्छीए नं भुयहिं अवगुंठियं । जंवुदीव-प्पमाणं विमाणं वरं कारवेऊण पूरंत-गयणंतरं ॥ [२३५८] तत्थ आरुहिवि सहसक्खु संपढिओ देव-गण-परिवुडो जिण-वरुक्कंठिओ। दाहिणिल्लम्मि करइ करग सेले तओ(?) संखिवंतो विमाणं स-इढिं गओ॥ २३५२. ३. समद्द. २३५४. १. सुरसणो. २३५६. १. क. संपाण'. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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