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[१३१
नेमिनाहचरित
[१३१] कुणइ निरुवमु वयण-विण्णाणु मण-मोहु तियसासुरहं ललिउ भणिउ तीरइ न वयणिहिं । हसियं पि हु हरइ मणु सयल-भुवण-वटेंत-तरुणिहि ॥ वयणह नयणह वच्छयल- कर-पल्लव-चलणाहं । लक्खणु लक्खु वियक्खणहं किं अम्हारिसु ताहं ॥
[१३२]
____ता निवेयसु मज्झ पसिऊण वेरग्गिण केण तई गहिउ चरणु दुक्करु इमेरिसु । अह जंपइ मुणि-वसहु सुणसु कुमर वेरग्गु जारिम् ॥ जायचं मह वय-गहण-दिणि जणिय-भविय-उन्वेउ । जं भण्णंतु वि सुह-मइहिं कसु न कुणइ संवेउ ॥
[१३३] तहा हि
आसि सुंदर मगह-विसयमि सिरि-कंचणपुरि नयरि पउर-विहव दो वणिय मुत्तय । सुकुलुम्भव गुण-निलय विउल-धम्म-कम्मोवउत्तय ।। मिय-भासिर थिर-चंकमिर निम्मल-कित्ति-निहाण । निविड-सिणेह सहोयरय सीह-वसंतभिहाण ॥
[१३४] अन्न-दिणि पुणु भणिउ लहु वंधु एगति निय-पिययमहि पाव-मइण मयणसिरि-नामिण । जं दीसइ इह भवणि तेण लहु वि न हवसि स-कम्मिण ॥ तुज्झु सहोयरु जेठु इहु निच्चु वि वयणिण मिठु । अविहिय-वयण-वियारु पुणु चिट्ठइ चित्ति विणठु ॥ १३१. ५. ख. हसिउ हरइ हियय पि. ८. क. हर. विक्खणहं. १९४. ६. एहु.
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