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नेमिनाहचरिउ
[१०७ [१०७]
पुव्व-वइयरु कहइ स-विसेसु परिओसिय-निवइ-सहु तयणु भणिउ विहसिवि नरिदिण । नणु एक्कसि कहसु सह धणिण नियय-कुल-गयण-चंदिण ॥ धणवइ-कुमरिहि केरिसउ संभावसि संबंधु । सचिवु भणइ - धुवु होइसइ भुवण-अहिय-पडिवंधु ॥
[१०८]
जं च निम्मिउ मयणु रइ-रमणु जं कण्हु लच्छिहि दइउ जं सुरिंदु रंभाए पिययमु । जं सीयह नाहु हल- मुसल-जोहु जं हरु वि पिय उमु ॥ तं चिर-संचिउ जसु फुसइ जइ न कुणइ संवंधु । धणकुमरह धणवइहि सहु विहि एहु मह निव्वंधु ॥
- [१०९]
इय भणिप्पिणु विविहु सम्माणु परिघेत्तु सीहह निवह पासि सचिवु तेणाणुमन्निउ । लहु कुमरिहि संनिहिहिं गंतु सार-परियण-समन्निउ । लेहु समप्पइ धगवइहि सह निरुवम-हारेण । सा वि हु वियसिय-मुह-कमल परिचेप्पिणु स-करेण ॥
[११०]
ठविवि हिययह वहिहिं सो हारु मज्झमि उ धणकुमरु स-गुणु सरलु विमलउ सु-वाणिउ । उग्घाडिवि लेहु मग- नयण-सुहउ सचिविंद-आणिउ ॥ सज्झस-वस-वहलुल्लसिय-रोमंचंचिय-काय । वायइ कुमरिय लेहु फुड दुगुणीहुय-मुह-राय ॥ १०७. ५. क. गइण. ९. भुवणु; परिघं. १०८. ५. प्लुसलजोडं. १०९. ४. क. संनिहिं हि.
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