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६९७ ? तइयभवि चित्तगइवुत्तंति सणतुकुमारचरिउ
[६९४]
अहह अरि जिय करिसि म म रोसु इयरस्सु कस्सु वि उवरि विहि-वसेण कु व कु व न पावइ । भव-विविणि दुहावणइ मण-अगोयर वि विविह आवइ ॥ निय-सुह-अमुहइं पुव्व-भव- समुवज्जियई चएवि । को गिण्हइ जसु अवजसु व भदु अभदु व देवि ॥
[६९५]
जलिर-मंदिर-सरिसु संसारु निरुवद्दवु मोक्ख-पुरु दुहय विसय सुह-हेउ सिव-पहु । तणु चंचल धम्मु थिरु सुहउ सुगुरु खलयणु दुहावहु॥ अप्पु वि अ-नियंतिउ पिसुणु सु-नियंतिउ सु जि मित्तु । ता जिय वसु इयरूवरि राय दोस चइत्तु ॥
[६९६]
जलहि-सुरगिरि-गहिर-थिर-मणह इय तस्सु विचिंतिरह सो हयासु वालय-तवस्सिउ । भइ-मंथरु भुजिउण
उण्ह-उण्हु परमन्नु हरिसिउ ॥ सेट्ठिहि पट्टिहि कह कह वि जा उप्पाडइ पत्ति । ता उक्खिडिय स रुहिर-वस- मंस-न्हारु-जुय त्ति ॥
[६९७]
अहह घिसि घिसि पाव-तवसिइण किह एइण धम्म-निहि पुरिस-रयणु एरिसु विडं विउ । निक्कारणि निवइण वि किह अ-कज्जु एहु एहु कराविउ ।। नहि पर-लोइ वि निय-कयहं मुह-असुहहं संसारि । छुट्टिज्जइ गुरु-गुरुएहि वि विसम-विवागि अ-सारि । ६९४. ४. क. विणिवि. ५. विविहिह. ६९६. ५. क. उपहउण्ह. ६. पिहिहि.
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