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(४१) ओहनिनुत्ति
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चेव हुंति अन्नाया। अद्दिठ्ठावि य दुविहा सुअमसुअ पसत्थमपसत्था ॥९६।। दिठ्ठा व समोसरणे न य नायगुणा हवेज ते समणा । सुअगुण पसत्थ इयरे समणुन्निअरे य सव्वेवि ||७||| जइ सुद्धा संवासो होइ असुद्धाण दुविह पडिलेहा । अब्भितरबाहिरिआ दुविहा दव्वे य भावे य ॥८॥ घाइतलिअदंडग पाउय संलग्गिरी अणुवओगो । दिसि पवण गाम सूरिय वितहं अच्छोलणा दव्वे ।।९।। विकहा हसिउग्गाइय भिन्नकहाचक्कवालछलिअकहा । माणुसतिरिआवाए दायणआयरणया भावे॥१००॥ बाहिं जइवि असुद्धा तहावि गंतूण गुरूपरिक्खा उ। अहव विसुद्धा तहवि उ अंतो दुविहा उ पडिलेहा ॥१॥ पविसंत निमित्तमणेसणे व साहइ न एरिसा समणा । अम्हंपि ते कहती कुक्कुडखरियाइठाणं च ।।२।। दव्वंमि ठाणफलए सेज्जासंथारकायउच्चारे । कंदप्पगीयविकहावुग्गहकिड्डा य भावंमि ||३|| संविग्गेसु पवेसो संविग्गऽमणुन्न बाहि किइकम्मं । ठवणकुलापुच्छणया एत्तोच्चिय गच्छ गविसणया|४|| संविग्गसंनिभद्दग सुन्ने निइयाइ मोत्तुऽहाछंदे। वच्चंतस्सेतेसुंवसहीए मग्गणा होइ॥५॥ वसही समणुण्णेसुं निइयादमणुण्ण अण्णहिं निवेए। संनिगिहि इत्थिरहिए सहिए वीसु घरकुडीए ॥६॥ अहणुव्वासिअ सकवाड निब्बिले निच्चले वसइ सुण्णे । अनिवेइएयरेसिं गेलन्ने न एस अम्हंति ॥७|| नीयाइअपरिभुत्ते सहिएयर पक्खिए व सज्झाए। कालो सेसमकालो वासो पुण कालचारीसु॥८॥ तेणं परं पासत्थाइएसु न य वसइऽकालचारीसु । गहिआवासगकरणं ठाणं गहिएणऽगहिएणं ।।९।। निसिअ तुयट्टण जग्गण विराहणभएण पासि निक्खिवइ । पासत्थाईणेवं निइए नवरं अपरिभुत्ते॥११०॥ एमेव अहाछंदे पडिहणणा झाण अज्झयण कन्ना । ठाणठिओ निसामे सुवणाहरणा य गहिएणं ॥१|| असिवे ओमोयरिए रायदुढे भए नदुठ्ठाणे। फिडिअगिलाणे कालगवासे ठाणठ्ठिओ होइाश तत्थेव अंतरा वा असिवादी सोउ परिरयस्सऽसइं। संचिक्खे जाव सिवं अहवावी ते तओ फिडिआ ।।३।। पुण्णा व नई चउमासवाहिणी नवि य कोइ उत्तारे। तत्थंतरा व देसो व उठ्ठिओं न य लब्भइ पवत्ती ॥६५|| भा० । फिडिएसु जा पवित्ती सयं गिलाणो परं व पडियरइ। कालगया व पवत्ती ससंकिए जाव निस्संकं ॥६६|| भा० । वासासुंउब्भिण्णा बीयाई तेण अंतरा चिठे। तेगिच्छि भोइ सारक्खणहठे ठाणमिच्छंति॥४॥ संविग्गसंनिभद्दग अहप्पहाणेसु भोइयघरे वा। ठवणा आयरियस्सा सामायारी पउंजणया ||५|| एवं ता कारणिओ दूइज्जइ जुत्त अप्पमाएणं । निक्कारणिअं एत्तो चइओ आहिडिओचेव ॥६॥ जह सागरंमि मीणा संखोहं सागरस्स असहंता । निति तओ सुहकामी निग्गयमित्ता विनस्संति |७|| एवं गच्छसमुद्दे सारणवीईहिं चोझ्या संता । निति तओ सुहकामी मीणा व जहा विणस्संति ॥८॥ उवएस अणुवएसा दुविहा आहिँडआ समासेणं । उवएस देसदसण अणुवएसा इमे होति ॥९|| चक्के थूभे पडिमा जम्मण है निक्खमण नाण निव्वाणे । संखडि विहार आहार उवहि तह दंसणठाए॥१२०॥ एते अकारणा संजयस्स असमत्ततदुभयस्स भवे। ते चेव कारणा पुणगीयत्थविहारिणो भणिआ॥१॥ गीयत्थो य विहारो बिइओ गीयत्थमीसिओ भणिओ । एत्तो तइअविहारो नाणुन्नाओ जिणवरेहिं ।।२।। संजमआयविराहण नाणे तह दंसणे चरित्ते य। आणालोव जिणाणं कुव्वइ दीहं तु संसारं ।।३।। संजमओ छक्काया आयाकंटऽठ्ठिऽजीरगेलन्ने। नाणे नाणायारोदसण चरगाइ दुग्गाहे ॥६७|भा०। णेगावि होति दुविहा कारणनिक्कारणे दुविहभेओ। जं एत्थं नाणत्तं तमहं वोच्छं समासेण |४|| जयमाणा खलु एवं तिविहा उ समासओ समक्खाया। विहरंताविय दुविहा गच्छगया निग्गया चेव ॥४॥ प्र० । जयमाणा विहरंता ओ हाणाहिंडगा चउद्ध उ । जयमाणा तत्थ तिहा नाणट्ठा दंसणचरित्ते ॥५।। पत्तेयबुद्ध जिणकप्पिया य पडिमासु चेव विहरंता। आयरिअथेरवसभा भिक्खू खुड्डाय गच्छंमि ।।६।। ओहावंता दुविहा लिंग विहारे य होति नयव्वा । लिंगेणऽगारवासं नियया ओहावण विहारे।।७।। उवएस अणुवएसा दुविहा आहिंडया मुणेयव्वा । उवएस देसदसण थूभाई हुंतिऽणुवएसा ।।८। पुण्णंमि मासकप्पे वासावासासु जयणसंकमणा आनंतणा य भावे सुत्तत्थ न हायई जत्थ ॥९॥ अप्पडिलेहियदोसा वसही भिक्खं च दुल्लह होज्जा। बालाइगिलाणाण व पाउंग्ग अहव सज्झाओ॥१३०।। तम्हा पुव्वं पडिलेहिऊण पच्छा विहीऍ संकमणं । पेसेइ जइ अणापुच्छिउं गणं तत्थिमे दोसा ॥१॥ अइरेगोवहिपडिलेहणाएँ कत्थवि गयत्ति तो पुच्छे । खेत्ते पडिलेहेउं अमुगत्थ गयत्ति तं दुट्ठ ॥२॥ तेणा सावय मसगा
ओमऽसिवे सेह इत्थि पडिणीए । थंडिल्ल अगणि उट्ठाण एवमाई भवे दोसा ||३|| पच्चंति तावसीओ सावयदुभिक्खतेणपउराई। णियगपट्ठट्ठाणे फेडणहरियाइ(हरिहरिय) पण्णीए॥४॥ सीसे जइ आमंतइ पडिच्छगा तेण बाहिरं भावं । जइ इयरे तो सीसा तेवि समत्तंमि गच्छंति ॥५॥ तरुणा बाहिरभाव न य Mero # 55555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १५८१555555555555555555555555OOR
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