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[ नियुक्तिसंग्रहः :: (६) श्री प्राचाराङ्गनियुक्तिः
एक्का मणुस्सजाई रज्जुप्पत्तीइ दो कया उसमे । तिण्णेव सिप्पणिए सावगधम्मम्मि चत्तारि ॥ १९ ।। संजोगे सोलसगं सत्त य वण्णा उ नव य अंतरिणो।
एए दोवि विगप्पा ठवणा बंभस्स णायव्वा ॥ २० ॥ 5 पगई चउक्कगाणंतरे य ते हंति सत्त वण्णा उ ।।
आणंतरेसु चरमो वण्णो खलु होइ णायव्वो ।। २१ ।। अंबठ्ठग्गनिसाया य अजोगवं मागहा य सूया य । खत्ता(य) विदेहाविय चंडाला नवमगा हुंति ।। २२ ।।
एगंतरिए इणमो अंबट्ठो चेव होइ उग्गो य। 10 बिइयंतरिअ निसाओ परासरं तं च पुण वेगे ।। २३ ।।
पडिलोमे सुद्दाई प्रजोगवं मागहो य सूमो प्र। एगंतरिए खत्ता वेदेहा चेव नायव्वा ॥ २४ ।। बितियंतरे नियमा चण्डालो सोऽवि होइ णायव्यो।
अगुलोमे पडिलोमे एवं एए भवे भेया ।। २५ ।। 15 उग्गेणं खत्ताए सोवागो वेणवो विदेहेणं ।
अंबढीए सुद्दीय बुक्कसो जो निसाएणं ।। २६ ।। सूएण निसाईए कुक्करओ सोवि होइ णायव्वो। एसो बीओ भेनो चउम्विहो होइ गायवो ॥ २७ ।।
दव्वं सरीरभविओ अन्नाणी बत्थिसंजमो चेव । 20 भावे उ बस्थिसंजम गायव्यो संजमो चेव ॥ २८ ।।
चरणंमि होइ छक्कं गइमाहारो गुणो व चरणं च । खित्तमि जमि खित्ते काले कालो जहिं जाओ (जो उ) ।।२९।।
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