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३४२ ] [ नियुक्तिसंग्रहः:: (४) श्रीदशवकालिकनियुक्तिः
णायंमि गिण्हयव्वे अगिहियध्वंमि चेव अथमि । जइयव्वमेव इइ जो उवएसो सो नमो नाम ॥ ४६ ।। सम्वेसिपि नयाणं बहुविहवत्तव्वयं निसामेत्ता ।
तं सव्वनयविसद्धं ज चरणगुणट्ठिओ साहू ॥ १५० ।। 5 दुमपुफियनिज्जुत्ती समासओ वणिया विभासाए ।
जिणचउद्दसपुथ्वी वित्थरेण कहयंति से अटें ।। १५१ ।।
॥ दुमपुफियनिज्जुत्ती समत्ता ॥१॥ ॥२॥ अथ द्वितीयाध्ययननियुक्तिः ।। सामण्णपुव्वगस्स उ निकखेवो होइ नामनिप्फन्नो। 10 सामण्णस्स चउक्को तेरसगो पुव्वयस्स भवे ॥ १५२ ।।
समणस्स उ निक्खेवो चउक्कसो होइ आणुपुवीए । दब्वे सरीरभविओ भावेण उ संजओ समणो ।। ५३ ।। जह मम न पियं दुक्खं जाणिय एमेव सम्वजीवाणं ।
न हणइ न हणावेइ य सममणई तेण सो समणो ।। ५४ ।। 15 नत्थि य सि कोइ वेसो पिओ व सम्वेसु चेव जीवेसु ।
एएण होइ समणो एसो अन्नोऽवि पज्जाओ ।। ५५ ।। तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ न होइ पावमणो । सयणे य जणे य समो समो य माणावमाणेसु ।। ५६ ।।
उरगगिरिजलणसागर नहयलतरुगणसमो य जो होई । 20 भमरमिगधरणिजलरुह-रविपवणसमो जनो समणो ।। ५७ ।।
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