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१ सामायिकाध्ययनम् १-पीठोका" ]
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वुड्डी वा हाणी वा, चउठिवहा होइ खित्तकालाणं । दव्वे सु होइ दुविहा, छविह पुण पज्जवे होइ ॥५९।। फड्डा य प्रसंखिज्जा, संखेज्जा यावि एगजीवस्स । एकफडडुवओगे, नियमा सम्वत्थ उवउत्तो ॥६० ।। फड्डा य प्राणुगामी, प्रणाणुगामी य मीसगा चेव । पडिवाइ अपडिवाई, मीसो य मणुस्सतेरिच्छे ।। ६१ ।। बाहिरलंभे भज्जो, दवे खित्ते य कालभावे य । उप्पा पडिवाओऽवि य, तं उभयं एगसमएणं ।। ६२ ॥
प्रभितरलद्धीए उ तदुभयं नस्थि एगसमएणं । 10 उप्पा पडिवाओऽवि य, एगयरो एगसमएणं ।। ६३ ।।
दव्याओ असंखिज्जे संखेज्जे आवि पज्जवे लहइ । दो पज्जवे दुगुणिए, लहइ य एगाउ दवाउ ।। ६४ ।। सागारमणागारा, प्रोहिविभंगा जहण्णमा तुल्ला।
उवरिमगेवेज्जेसु उ, परेण प्रोही असंखिज्जो ।। ६५ ।। 15 नेरइयदेवतित्थंकरा य ओहिस्सऽबाहिरा ति ।
पासंति सम्वो खलु, सेसा देसेण पासंति ॥ ६६ ।। संखिज्जमसंखिज्जो, पुरिसमबाहाइ खित्तओ प्रोही। संबद्धमसंबद्धो, लोगमलोगे य संबद्धो ।। ६७ ।।
गइ नेरइयाईश्रा, हिट्ठा जह वणिया तहेव इहं । 20 इड्डी एसा वणिज्जइत्ति तो सेसियाओऽवि ॥ ६८ ।।
आमोसहि विप्पोसहि, खेलोसहि जल्लमोसही चेव । संभिन्नसो उज्जुमइ, सम्वोसहि चेव बोद्धव्वो।। ६९ ॥
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