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________________ १२४ ] [ नियुक्ति संग्रहः :: (१) आवश्यकनियुक्तिः ॥ ४ ॥ अथ प्रतिक्रमणाध्ययनम् ॥ ॥८॥प्रतिक्रमणानियुक्तिः ॥ पडिकमणं पडिकमग्रो पडिकमियव्वं च आणुपुवीए । तीए पच्चुप्पन्ने प्रणागए चेव कालंमि ।। ४५ ।। जीवो उ पडिक्कमओ असुहाणं पावकम्मजोगाणं । झाणपसत्थाजोगा जे ते ण पडिक्कमे साहू ।। ४६ ।। पडिकमणं पडियरणा परिहरणा वारणा नियत्ती य । निदा गरिहा सोही पडिकमणं अट्टहा होइ ॥ ४७ ।। णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। 10 एसो पडिकमणस्सा णिवखेवो छविहो होइ ।। ४८ ।। णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। एसो पडियरणाए णिक्खेवो छविहो होइ ॥४६ ।। णामं ठवणा दविए परिरय परिहार वज्जणाए य। अणुगह भावे य तहा अविहा होइ परिहरणा ।। १२५० ।। 15 णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य । एसो उ वारणाए मिक्खेवो छविहो होइ ॥५१ ।। नाम ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य । एसो उ नियत्तीए णिक्खेवो छविहो होइ ॥ ५२ ।। णामं ठवणा दविए खित्ते काले तहेव भावे य। 20 एसो खलु निदाए णिक्खेवो छन्विहो होइ ॥ ५३ ।। Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002598
Book TitleNiryukti Sangraha
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages624
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Spiritual
File Size19 MB
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