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________________ ६२ ] [ नियुक्तिसंग्रहः :: (१) आवश्यकनियुक्तिः नेओ स मंतसिद्धो खंभागरिसुव्व साइसरो ॥ ३३ ॥ सब्वेवि दव्वजोगा परमच्छरयफलाऽहवेगोऽवि । . जस्सेह हुज्ज सिद्धो स जोगसिद्धो जहा समिओ ।। ३४ ।। आगमसिद्धो सव्वंगपारओ गोप्रमुग्ध गुणरासी।। पउरत्थो अस्थपरो व मम्मणो अत्यसिद्धत्ति ॥ ३५ ।। जो निच्चसिद्धजत्तो लद्धवरो जो व तुडियाइव्व । सो किर जत्तासिद्धोऽभिप्पाओ बुद्धिपज्जाओ ।। ३६ ।। विउला विमला सुहुमा जस्स मई जो चउबिहाए वा । बुद्धीए संपन्नो स बुद्धिसिद्धो इमा सा य ।। ३७ ॥ 10 उप्पत्तिआ वेणइआ कमिआ पारिणामिआ । बुद्धी चउविवहा वुत्ता पंचमा नोवलब्भए ।। ३८ ॥ पुग्वमदिट्ठमस्सुअ-मवेइअ तक्खणविसुद्धगहिप्रत्था । प्रवाहयफल-जोगिणि बुद्धी उप्पत्तिआ नाम ॥ ३९ ।। भरहसिल पणिअ रुक्खे खुडुख पड५ सरड६ काग" उच्चारे । गय घयण' ० गोल खंभे खुड्डग 3 मग्गिथि ४ पह५ पुत्ते१६ ।। ९४० ।। मरहसिला मिढ कुक्कुड तिल वालुअ५ हथि अगड वणसंडे । 20 पायस अइआ° पत्ते ११ खाडहिला पंचपिअरो13 अ ।४१। महुसिथ मुद्दि६ अंक ६ अ नाणए. भिक्खु२१ चेडगनिहाणे २२ । 15 Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002598
Book TitleNiryukti Sangraha
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages624
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Spiritual
File Size19 MB
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