SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 466
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चंद्रहाकहा कज्जमिमी तावय, सुणेमि सवणामयं गीयं ॥ ६२४ ॥ अह वरनट्टं घग्घरि-गुरुनिग्घोसा पयट्टए एगा || करणंगहारसारं, बत्तीसयचारिया सहियं ॥ ६२५ ॥ रमणीयसद्दरमणीगणेहि पूरिज्जमाणमहुरवा ॥ विच्छित्तलक्खलक्खियमयदिव्वं गायए एगा ॥ ६२६ ॥ संपुन्नगाममविणट्ठजाइमक्खलियगइपयारं च ॥ राया रायसरिच्छं, रायं निसुणेइ तव्विहियं ॥ ६२७ ।। मयभिभलावि करिणो, तक्खण संहरियमत्तवावारा ॥ अमयं व ताण गीयं, सुणंति उत्तंभियस्वणा ॥ ६२८ ।। मुक्कपल्लंकसुक्खो, महियलसंलुलियसवणजुयलिल्लो ॥ लिहिउ व्व मुच्छिओ विव स परियणो सुणइ तं राया ॥ ६२९ ॥ तत्तो मुहुत्तमित्ताणंतरमंतरियगीयपियूसो ॥ पाभाइयतूररवो, उच्छलिओ गरललहरि व्व ।। ६३० ।। सजलजलवाहसद्दो कोकिलकुलकलकलं जह समेइ ॥ सव्वं दिव्वं गीयं तह तेण रवेण उवसमियं ॥ ६३० ॥ सा चंदलेहकन्ना अन्ना कन्नाउ जणयभवणम्मि ॥ पस सयं तु नियए धवलहरे झत्ति संपत्ता ॥ ६३१ ॥ गरुयविसायनिसायं, समुव्वहंतो महंतदुक्खेण ॥ 1 राया पभायकज्जं, सज्जइ संगीयगयचित्तो ॥ ६३२ ॥ गणितरियं संगीयं पुण वि ताहिं पारद्धं || विविहपयट्टियनट्टं, अउव्व बंधं व मणकरिणो ॥ ६३३ ॥ अहो अहो मह कन्ना धन्ना दिव्वं सुणंति जं गीयं ॥ इय राया चिंतंतो, चएइ निद्दं च सेज्जं च ॥ ६३४ ॥ चजामा बि-तिजामा तइ जामसया हवेइ तो लठ्ठे ॥ पासायतलनिलुक्को इय चिंतइ सुणिय तं गीयं ॥ ६३५ ॥ आसन्नगिहारामे, पभायसमयम्मि पक्खिलक्खेहिं ॥ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only ४३७ www.jainelibrary.org
SR No.002597
Book TitlePaumappahasami Cariyam
Original Sutra AuthorDevsuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy