SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 373
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९८ २६४ करकलियासिदंड २८१ करगहियखग्गरयणा २६४ करचरणसवणनासाइ २६४ __ करधरियधवलकमला करविहियखग्गरयणो करहे उरगे रिछे य २८० करिकण्णचलेविहवे करिकण्णचवलचित्ता करिकरसमानजंघा irror . : ३२३ ३२४ २६३ १ १८६ २७२ ३१८ १९१ १६० २७३ ३०९ २६४ २६४ २६४ २६४ २६४ २६४ कत्थइ धाउवाइय कत्थइन चेव गच्छद कत्थइ नारंगपियंगु कत्थइ निगुंजंतमलि कत्थइ पारावय कुइएण कत्थइ ललंतरुटुंत कत्थइ लोहियहालिद्द कत्थइ वरुणयपुण्णाग कत्थई वारंवारं खर कत्थइ वियरंतुत्तुंग कत्थइ सिहिकुल अइ कत्थइ सीथललयहर कत्थइ सुसयणं दिट्ठा 'कत्थय मइदुब्वलेणं कत्थव न जलइ अग्गी कत्थवि य बोरच्छा कपिलानां सहस्त्रं तु कप्परं हड्डखंडं वा कप्पूरागरुसिरिखंड कप्पूरागरुखंडाणि कमलदलदीहनयणा २६४ २६४ २७० १०५ १०७ २८६ ३०७ ८६ कह तम्मि निव्वविज्जइ कहिऊण य वुत्तंतं कहिऊण वइयरमिणं कहिओ संखेवेणं कहि चि अइविडवतरु कहिं चि कप्पूरमह कहिं चि दीसंतकच्च कहिं चि टिंबरुणि कहिं चि मउरंतवर कहिं चि विव्वंदुमास कहिं चि सिरिखंड काऊण गरुयखेयं काऊण तवं घोरं काऊणं पिउपणयं काऊण पोसहं अट्ठमीए काऊणम्ह पसायं काऊण रणे विरह काऊण सपरिओसं काऊण समाहाणं काएण अणुवउत्तो कामकुंभिकुंभत्थल कामलया वि हु तत्तो कायब्वो तह विणओ कारणं सव्वकज्जाणं कालंतरियसिणेहो कालुस्स वज्जियाई कालेण बहुएण वि सा काले दिण्णस्स पहेणयस्स कालो उत्तासणओ कावुरिसस्स वि मज्झं कि अप्पपसंसाए कि एसा गिरितणया किं एसो सलहिज्जइ किं कुणइ कम्मवसगाण ३२४ ८७ ३०७ कला ३०३ ३३२ ११५ ३३२ WW.WAW AuWW . . AMWWW ०. 6. २४८ २९२ करिणो करिणा हरिणो २६४ करिवसहहंसकेसरि २८१ १४८ करुणारस-भर-भंगुर १३६ कलकोइलमहुरसरा २६५ कलकोइलमुहलाओ ३२७ कलहंतरे वि न हु कलहकरा डमरकरा २४२ कलहाओ कंठसासो २१६ कलहाओ दोहग्गं १६० कलहो अत्थक्खय३३९ कलहो गुणाण हाणी २७९ कलहो हि कीरमाणो १०४ कलिकालकलुसिए १४८ कलिकालसहावेणं १८३ कल्लइ बोरई विक्किणइ १४८ कवलिउकामो तुरियं २६८ कविसीसंतरसंठिय कहं तं भण्णइ सोक्खं ३२१ कह कह वि कुणइ कव्वं कह कह वि कुणइ पावो कह कह वि तम्मि समए कह कह वि बहुकिलेसा कह कह वि माणुसत्तं कह कह वि रोयमाणी १५० ३३२ ३३२ ३३२ २७४ २२० ४० कमलदलदीहलोयण कमलासणो वेयमुहो कम्मभरक्कंता वि हु तरतम कम्मभरपीडियाणं कम्मभरविप्पमुक्को कयपुण्णो को वि इमो कय विविहचाडुकम्मा २कयसमकएण ण हु कयसावज्जनिसेहा करकयकरवाल-नरं करकय-करालकत्तिय २९० २४३ ३२२ ४६ ३०८ २४३ ३२३ ३२५ ३०३ ३१२ ८८ ३२८ २० १८३ १. प्रव० पृ० ३५ । २. चउ० पृ० १६६। २१४ १. गाहा० पृ०७२ । Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002596
Book TitleManorama Kaha
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy