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________________ तइय अवसरे परिग्गहपरिमाणवए नरचंदजिणगुत्तकहा २७१ अइकाल-गोर-सामल-तणयंगा निंदिया नरा-नारी । तय-रोम-दंत-नयणोट-केस-जह-नेह-रहिया य ।।२०८।। वामदिसाए वामो आवत्तो कुणइ सासयं भिक्खं । सो विय दाहिण-पासे पयाहिणो लच्छिमावहइ ।।२०९।। निअनीइगुणसमेया बत्तीसं होंति पुहइनाहाण । मज्झिम-सुहाण तीसं दंता ऊणाहिया पावा ।।२१०।। मूसग-कराल-बीभच्छ-विस[मदसणा हवंति पावयरा । को[इ] लरसणा य सुहिणो चित्तलजीहा य पाविल्ला । पउमदलाभा सुहुमा जीहा किल होइ पंडिय-नराण । खर-काग-भिण्ण-भायण-रुक्खसरा होति धान]रहिया । मंडल-विरालक्खे किर-नयणिल्ला निंदिया सया सत्ता । करिनथणा रासभाइदीहर-लोयणा विउसा [य] ।। गंभीरुच्छल-नयणा दीहर-थेवाइणो मुणेयव्वा । दीणच्छो धण-रहिओ थूलच्छो होइ निव-मंती ॥२१४।। इण्हि संखित्तेयर वररेहा-लक्खणं पवक्खामि । पुरिसाणं जुवईण य दाहिणवामे सुहत्थेसु ।।२१५।। गंभीरारुण-सुहमा सुसिणिद्धा पूइयाओ करलेहा । मणिबंधाओ पवत्ता सुपसत्था तिष्णि रेहाओ ।।२१६।। अंगुटुमणुसरंती कुलरेहा होइ पढमिया एसा । वीया पुण धणरेहा तइया विय आउ-रेह त्ति ।।२१७।। कुल-दव्व-जीवियाणि य छिण्णभिण्णासु हुंति साराणि । रेहासुं पुण छिण्णाइयासु भासेज्ज विवरीयं ।।२१८।। अंगुटु-पएसिणि अंतरम्मि पत्ताए जा रहा । आऊमुत्तुंगमहीणं होइ (?) सेसासु ॥२१९।। जत्तियमेत्ता छेया अवमच्चू तत्तिया मुणेयव्वा । जीविय-रेहाएं फुडं सुसंठियाए न संदेहो ।।२२०।। जा पुण्ण मणिबंधाओ उड्ढंकरगामिणी सया रेहा । सा सयण-रयण-धण-कणय-दाइया-लोग-पुज्जा य ।। सा चिय जइ अंगुढ़ समेइ तो कुणइ पायडनरिदं । तज्जणिपत्ता य फुडं नरनाहं तेण सरिसं व ।।२२२।। मज्झिमपत्ताए वि हु राया सेणावइ व्व आयरिओ । अवणामियाए सेट्ठो जायइ अण्णो य धणवंतो ।।२२३।। सा चिय कणिट्ठियाए पत्ता सुहियं करेइ सुभगं वा । एयाओ अवितहाओ जइ अच्छिण्णा सुवण्णा य ।।२२४।। मणिबंध-आउरेहाण अंतरे जत्तियाओ रेहाओ । कर-पाणि-निविट्ठाओ तावंति सुभाई भंडाइं ।।२२५।। वत्तासु भायरो खलु अव्वत्तासु च हुँति भगिणीओ। अच्चंतेय ( ? ) रासु पुण अप्पाऊ हुंति नियमेण ।।२२६।। आउं कणिट्ठिय-रेहाए अंतरे जत्तियाउ रेहाओ। तावइय खलु महिला महिलाणं हुंति पुरिसा य ।।२२७।। समसीलाओ समासुं हवंति विसमासु वि[स]मसीलाओ । हीणासु हीण-जाई अयियरासुं च अहियाओ ।। अंगुटुस्सय उरि जइ निद्धो पायडो जवो होइ । सो विज्जाए धणेण य भोगेहि न मँचए जंतू ।।२२९।। मच्छंको सयभागी सहस्सभागी य [चक्कं]को । संखको लक्खवई पउमंको कोडिधणभागी ।।२३०।। पंचण्हमंगुलीणं अंतरभागेसु चसु वि धणेसु । निच्चं चिय सुहभागी मज्झपसाए वालत्ते ॥२३१।। मज्झिम अणामियाणं धणंतरे होइ मज्झिमवयम्मि। पच्छिमवयम्मि सोकावं कणिट्ठियाणामियघणम्मि ।। इच्चाइनरनारीलक्खणं भणिऊण नरचंदं दसयंतेण भणियं नेमित्तिएण-"जहेस मिउ-मसिण-कसिण-सिणिद्धचिहुर-भार-संगओ छत्तायार-पयाहिणावत्तुत्तिमंगो य दीसइ तहा नूणं राइणा भवियव्वं । तुज्झ पुण जहा मणिबंधाओ उड्ढकार]गामिणी उढ्डरेहा पयडा दीसइ तहा धण-कणग-रयणसामिओ लोगपुज्जो य भविस्ससि अओ मए तुम्हाण कण्णापयाणं कयं । . कइवयदिणाणि तत्थेव य अइवाहिऊण सकलत्ता निग्गया नरचंद-जिणगुत्ता । पत्ता गंगातीर-संठिय-गंगावत्तं नाम नयरं । किलेस-संपाइयपाणवित्तीण वोलीणो वासरो। समागया रयणी। सुत्ताणि एगम्मि देवउले । रयणिचरमजामे दिट्ठो नरचंदेण सिविणयम्मि नियसिरच्छेओ। जिणगत्तण वि दहि-भरिय-भायणं वयणेण पविसमाणं सुविणए दिळं। कहियं पभाए नरचंदेण जिणगुत्तस्स । तेण वि इयरस्स। सुविणयत्थमयाणमाणा सम्म गहिऊण पुप्फ-फलाइं गया सुमिणसत्थ _Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002596
Book TitleManorama Kaha
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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