________________
भक्तामर यंत्र - ७
Bhaktamara Yantra - 7
त्वत्संस्तवेन भवसन्ततिसन्निबद्धं नौँ नौँ नौँ नौँ नौँ नौं नौँ
“न ही अहँ णमो बीअबुद्धीणं।"
41
सूर्याशुभिन्नमिव शार्वरमन्धकारम् ॥७॥ नौ नौ नौँ नौँ नौं नौँ नौँ ।
निवारणं कुरु कुरु स्वाहा।" .
क्म्ह्च्यं
।
ने ही हं सौं श्रीँ श्रीँ क्रौं क्लीं नौं नौं नौँ नौँ नौँ नौँ नौं । पापं क्षणात् क्षयमुपैति शरीरभाजाम् ।
Ehpplie-MBER =
larshilshayiyeyane
ऋद्धि-ॐ ह्रीँ अर्ह णमो बीअबुद्धीणं । मंत्र-ॐ हाँ हँ सौँ श्रीँ श्रीं क्रौँ क्लीं सर्वदुरित सङ्कट क्षुद्रोपद्रव कष्टनिवारणं कुरु कुरु स्वाहा । __ प्रभाव सर्प कीलित हो जाता है, सारे पाप, संकट, छोटे-मोटे उपद्रव दूर हो जाते हैं ।
Spellbinding of audiences &
removal of obstacles.
106 ___Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org