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भक्तामर यंत्र - ४
Bhaktamara Yantra - 4
वक्तुं गुणान् गुणसमुद्र ! शशाककान्तान् सौं सौ सौ सौ सौ सौ सौं
ने ही अर्ह णमो । | ग्लौं ग्लौं ग्लौं ग्लौं ग्लौं ग्लौं
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को वा तरीतुमलमम्बुनिधिं भुजाभ्याम्? ॥४॥ सौं सौं सौं सौँ सौं सौं सौँ । जलदेवताभ्यो नमःस्वाहा।"
ग्लो ग्लो ग्लो ग्लो ग्लो
ग्लौं ग्लौं ग्लौं ग्लौं ग्लौं ग्लौँ
सव्वाोहिजिणाणं। सौं सौं सौं सौं सौं सौं सौं कस्ते क्षमः सुरगुरुप्रतिमोऽपि बुद्ध्या ?।
फ्ली
JAIPAILIATRI REASEASE
हो
।
का
ऋद्धि-ॐ ह्रीं अर्ह णमो सव्वोहिजिणाणं ।
मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं जलदेवताभ्यो नमः स्वाहा ।
प्रभाव-जाल में मछलियाँ नही फँसती है तथा जल का भय दूर होता है ।
Spreading of non-violence and
removal of fear of water.
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