________________
भक्तामर यंत्र - १
Bhaktamara Yantra - 1
भक्तामरप्रणतमौलिमणिप्रभाणान्क्ली नक्ली नक्ली नक्ली नुक्ली नक्ली नक्ली नक्ली नक्ली नकली
स्वाहा।
नमः ।
य सौ सौ
' स्वाहाः
धामो अरिहंता
वालम्बनं भवजले पततां जनानाम् ॥१॥ " नक्ती नक्ती नक्ती नक्ली नुक्ती क्लीनक्ली क्ली नक्ली बली क्ली ।
ताण मो जि
मो जिणाणहाँ
3ली नक्ली क्ली वली क्ली वली क्ली नक्ली जैक्ती केली.क्ती अ. मुद्योतकं दलितपापतमोवितानम् ।
6
मा अप्रतिचके
LE LISIERELEE
437
jap jabse pahs. bf. [PAPE IS ARE THE ARE ADS IAS -
alnn phata
ऋद्धि-ॐ ह्रीँ अर्ह णमो अरिहंताणं णमो जिणाणं ॐ हाँ हाँ हूँ ह्रौँ ह्रः
अ सि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय झौं झौं स्वाहा । मंत्र-ॐ हाँ हाँ हूँ श्रीं क्लीं ब्लूं क्रौँ ॐ ह्रीं नमः स्वाहा ।
प्रभाव-सारी विघ्न-बाधाएँ दूर होती है । Removal of all obstacles
100
Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org