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________________ सुपार्श्व चन्द्रप्रभ सुविधि शीतल श्रेयांस वासुपूज्य she discussed on the subject of philosophy of equanimity. The six kings took Diksha during this first discourse. After enhancing the spread of religion for a long period she attained Nirvana on the fourth day of the bright half of the month of Chaitra at Sammetshikhar. - ध्वजा २०. भगवान मुनिसुव्रत कुम्भ पद्म सरोवर राजगृह के हरिवंशी राजा सुमित्र की महारानी थीं पद्मावती। चौदह महास्वप्न देखकर रानी ने ज्येष्ठ कृष्णा नवमी के दिन महान् पुण्यशाली पुत्र को जन्म दिया। पुत्र जन्मोत्सव एवं नामकरण के समय राजा ने घोषणा की-"जब से यह पुत्र माता के गर्भ में आया तब से रानी ने विविध प्रकार के व्रत नियम धारण किये और मुनि की तरह त्याग संयममय जीवनचर्या बिताती रही हैं, इस कारण हम पुत्र का नाम "मुनिसुव्रत'" रखना चाहते हैं। __ युवा होने पर मुनिसुव्रत का पाणिग्रहण हुआ, फिर राज्याभिषेक। जीवन के उत्तरार्ध काल में महाराज मुनिसुव्रत ने राज्य त्यागकर फाल्गुन कृष्णा अष्टमी के दिन दीक्षा ग्रहण की। ग्यारह मास के छद्मस्थ काल पश्चात् चम्पा वृक्ष के नीचे प्रभु को केवलज्ञान हुआ। देवताओं ने समवसरण की रचना की। भगवान मुनिसुव्रत ने 'श्रुत धर्म एवं चारित्र धर्म' पर प्रथम प्रवचन किया। चतुर्विध संघ की स्थापना हुई और अन्त में सम्मेदशिखर पर मोक्ष की प्राप्ति हुई। ___ भगवान मुनिसुव्रत का शासनकाल जैन पुराण इतिहास की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण रहा है। इनकी विद्यमानता में नवम चक्रवर्ती महापद्म हुए। इनके बड़े भाई मुनि विष्णुकुमार थे। जिन्होंने नमुचि महामात्य के अत्याचारों से त्रस्त जैन संघ की रक्षा की। जिसकी स्मृति में रक्षाबन्धन पर्व की परम्परा प्रसिद्ध है। ___ इन्हीं के शासनकाल में प्रतिवासुदेव रावण, मर्यादा पुरुषोत्तम राम (अष्टम बलदेव) तथा वासुदेव लक्ष्मण समद्र हुए। विमानभवन 20. BHAGAVAN MUNISUVRAT - रत्न राशि The being that was to be Bhagavan Munisuvrat purified its soul during his birth as Surshreshtha, the king of Champa city in Mahavideh. He than reincarnated in the Pranat dimension of gods. King Sumitra of the Harivamsh clan ruled over Rajgriha town. His wife, queen Padmavati, gave birth to a son, the being that had descended from the | निधूम अग्नि भगवान मुनिसुव्रत ( ७९ ) Bhagaran Munisuvrat नमि अरिष्टनेमि | पार्श्व महावीर मल्लि मुनिसुव्रत Emerion International-2203 - - jamenoraryug
SR No.002582
Book TitleSachitra Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1995
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Story
File Size13 MB
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