________________
ध्वजा
की स्तुति में स्तोत्र का पाठ किया और राजा से निवेदन किया-"महारानी महल की छत पर खड़ी होकर स्वयं इस शान्ति स्तोत्र का पाठ करें, और फिर जनपद पर अपनी अमृत दृष्टि डालें। जहाँ तक माता की अमियदृष्टि पहुँचेगी, उसके प्रभाव से समस्त उपद्रव, रोग, पीड़ाएँ शान्त हो जायेंगे।"
पुत्र जन्मोत्सव एवं नामकरण के समय राजा विश्वसेन ने बताया-पुत्र के गर्भ-प्रभाव से हस्तिनापुर जनपद में फैला हुआ महामारी का भयंकर उपद्रव शान्त हो गया। सम्पूर्ण राज्य में शान्ति और सुख की वृष्टि हुई। यह पुत्र संसार में “संति संतिकरे लोए" शान्ति करने वाला होने के कारण हम इसका नाम रखेंगे"शान्तिकुमार"।
पूर्व-जन्मों की दीर्घ तपस्या, ध्यान, सेवा, दान आदि प्रबल पुण्यों के प्रभाव से शान्तिनाथ छह खण्ड विजय कर चक्रवर्ती सम्राट् वने। (चित्र S-1/स) ___ अपने अद्वितीय बल वैभव से छह खण्डों पर एकछत्र राज्य करते हुए शान्तिनाथ को एक दिन पूर्व-जन्म में आचरित तप आदि की स्मृति होने पर मन में विरक्ति हुई। षट्खण्ड का विशाल राज वैभव त्यागकर मुनिव्रत धारण कर लिया। दीक्षा के एक वर्ष पश्चात् भगवान शान्तिनाथ हस्तिनापुर पधारे। वहाँ सहस्राम्र उद्यान में नन्दी वृक्ष के नीचे परम शान्त निर्मल शुक्ल ध्यान में लीन हुए। शान्त रस की वर्षा करती उनकी साधना से आसपास का वातावरण अत्यन्त अभय और मैत्रीपूर्ण हो गया। सिंह, हिरण, गाय, मोर, साँप आदि जीव-जन्तु परस्पर का वैर-भाव भूलकर योगीराज शान्तिनाथ के चरणों में आकर शान्ति का अनुभव करने लगे। (चित्र S-1/द)
पौष शुक्ला नवमी के दिन नन्दी वृक्ष के नीचे ही भगवान को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। उसी स्थान पर देवताओं ने समवसरण की रचना की। भगवान ने “इन्द्रिय विजय" पर प्रथम धर्म देशना दी। कुल एक लाख वर्ष का आयुष्य भोगकर ९00 मुनियों के साथ सम्मेदशिखर पर अनशनपूर्वक देह त्यागकर मोक्ष प्राप्त किया।
कुम्भ
पद्म सरोवर
समुद्र
16. BHAGAVAN SHANTINATH
विमानभवन
The account of the earlier incarnations of Bhagavan Shantinath indicates that this being had taken the path of discipline that lead toward purity of soul many births before. As a result of this upliftment during his incarnations as Shrisen and Vajrayudh it was born as Meghrath, the son of king Dhanrath of Pundarikini town in Purva Mahavideh area. At the proper time, king Dhanrath gave the kingdom to Meghrath and became an ascetic.
रत्न
राशि
Protection to a Refugee
Meghrath was a benevolent and religious ruler. He was compassionate and protected all living things. Being a Kshatriya and a warrior he had the chivalary to sacrifice all he had in order to protect those in trouble.
निधूम अग्नि
भगवान शान्तिनाथ
Bhagavan Shantinath
मल्लि
) मुनिसुव्रत
नमि
। अरिष्टनेमि
पार्श्व
महावीर
Jamuttarmorinternationalor-as
Fr-Priverncomersermaidse-only
Howrjaimciorary-drg