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5) सुपार्श्व
The intensity of his spiritual practices was so deep that he became an omniscient within one month. At that moment he was practicing under a Patal tree in a garden outside Champa town. He established the four pronged religious ford and preached for a long period.
चन्द्रप्रभ
सुविधि
शीतल
The second Vasudev, Dwiprishtha, was his devotee. He and his brother Baldev Shrivijay conquered Prativasudev Tarak and brought his oppressive rule to an end. Shrivijay later joined the ascetic order of Bhagavan Vasupujya.
Bhagavan Vasupujya got Nirvana in Champa town on the fourteenth day of the bright half of the month of Ashadh.
श्रेयांस
१३. भगवान विमलनाथ
कम्पिलपुर के राजा कृतवर्मा और रानी श्यामादेवी परम जिनभक्त और त्यागी वृत्ति के थे। श्यामादेवी महारानी परम सुन्दरी थीं, फिर भी इतनी सरल और निर्मल स्वभाव की थीं कि लोग कहते - "रानी जी का नाम श्यामा है, परन्तु जीवन परम उज्ज्वल चन्द्रमा के समान शीतल है।"
2024 03
माघ शुक्ला तृतीया के दिन रानी की कुक्षि से एक महान् पुण्यशाली पुत्र ने जन्म लिया । पुत्र जन्म के समय समूचे संसार में प्रकाश किरणें फैल गईं । पुत्र जन्मोत्सव एवं नामकरण के समय राजा कृतवर्मा ने अपने स्वजन मित्रों को बताया - "जब से यह पुत्र माता के गर्भ में आया रानी का तन, मन परम पवित्र, निर्मल और आभामय-सा हो गया। इस कारण हम पुत्र का नाम "विमलकुमार" रखना चाहते हैं । "
वासुपूज्य
राजकुमार का अनेक राजकुमारियों के साथ पाणिग्रहण हुआ। फिर राज्याभिषेक हुआ। दीर्घकाल तक प्रजापालन करते हुए माघ शुक्ला चतुर्थी के दिन एक हजार राजा - राजकुमारों के साथ दीक्षा ग्रहण की। केवलज्ञान प्राप्त होने पर धर्मतीर्थ की स्थापना की । अन्त में सम्मेदशिखर पर आपका नियाण हुआ।
तीसरे वासुदेव स्वयंभू तथा बलदेव बलभद्र आपके तीर्थकाल में हुए ।
13. BHAGAVAN VIMALNATH
मुनिसुव्रत नमि
King Kritvarma and queen Shyama Devi of Kampilpur were both spiritualists and devotees of the Jina. The queen one day saw fourteen auspicious things in her dream and the augurs announced that she will give birth to a Tirthankar. It was the pious soul that in its earlier birth was king भगवान विमलनाथ
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Bhagavan Vimalnath
मल्लि
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महावीर
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