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ऋषभ
अजित
सम्भव
अभिनन्दन
सुमति
पद्मप्रभ
सिंह
Everyone present in the assembly was dumbstruck by this witty method of judgement. The imposter pleaded guilty and submitted to be pardoned. (G/a)
On the eighth day of the bright half of the month of Vaishakh, the queen gave birth to a son. A wave of peace and goodwill swept the whole world. Appreciating the fact that the marked improvement in wisdom and sense of judgement during the pregnancy was the influence of the presence of the illustrious and pious soul, king Megh named the new born as-Sumati (wisdom or right thinking).
When he became a young man, Sumati Kumar was married, and in due course inherited the kingdom. King Megh became an ascetic. After a long and peaceful reign Sumatinath, too, became an ascetic. He attained omniscience under a Priyangu tree on the eleventh day of the bright half of the month of Chaitra. He established the four pronged religious ford and became a Tirthankar. On the ninth day of the bright half of the month of Chaitra he got Nirvana at San metshikhar.
वृषभ
६.भगवान पद्मप्रभ
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लक्ष्मी
कौशाम्बी नगर: के “धर" राजा की रानी थी-सुसीमादेवी। रानी ने कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी के शुभ समय में एक महान् पुण्यशाली पुत्र को जन्म दिया। जन्मोत्सव के समय महाराज "धर" ने परिजनों के समक्ष घोषणा की-"हमारा यह महान् भाग्यशाली पुत्र जब माता के गर्भ में आया, तब माता को सुगंधित लाल पद्म
(कमल) की शय्या पर सोने का दोहद उत्पन्न हुआ था। पुत्र के शरीर का रंग भी लाल पद्म जैसा सुरम्य और पुष्पमाला
आभामय है, इसलिए हम इसका गुण-निष्पन्न नाम ‘पद्मकुमार' रखना चाहते हैं।" (चित्र G/ब)
युवावस्था में पद्मकुमार का विवाह हुआ, फिर राज्याभिषेक/जाति-स्मृति तथा अवधिज्ञान से पूर्व-भव का साक्षात्कार होने पर वैराग्योदय हुआ। भर यौवन में राजपाट त्यागकर दीक्षा ली। छह मास तक तप-ध्यान साधना के बाद चैत्र शुक्ला पूर्णिमा को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। धर्मतीर्थ की स्थापना की तथा अन्त में सम्मेदशिखर पर भगवान पद्मप्रभ को निर्वाण प्राप्त हुआ।
चन्द्र
Illustrated Tirthankar Charitra
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सचित्र तीर्थकर चरित्र
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