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सुपाच
चन्द्रप्रभ
सुविधि
शीतल
2) श्रेयांस
वासुपूज्य
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पुत्र ऋषभसेन आदि पाँच सौ पुत्रों व पौत्र आदि हजारों व्यक्तियों ने मुनि-दीक्षा ग्रहण की। हजारों व्यक्तियों ने श्रावक धर्म स्वीकार किया। युग की आदि में चार तीर्थ की स्थापना करके धर्म प्रवर्तन करने के कारण भगवान ऋषभदेव प्रथम तीर्थंकर/आदिनाथ कहलाये।
भगवान ऋषभदेव के प्रथम ज्येष्ठ शिष्य ऋषभसेन थे। ये ही प्रथम गणधर बने। जिनका दूसरा नाम पुण्डरीक भी प्रसिद्ध है। मोक्ष
सुदीर्घ काल तक भगवान ऋषभदेव ने अहिंसा, सत्य आदि पंच महाव्रतरूप धर्म का उपदेश देकर लाखों प्राणियों को सद्बोध दिया। जब निर्वाण का समय नजदीक आया तो वे अष्टापद पर्वत पर पधारे। वहाँ भी is उनके साथ हजारों मुनि थे। भगवान वहाँ एक शिलापट पर पद्मासन मुद्रा में स्थिर होकर शुक्ल ध्यान में लीन हो गये। छह दिन तक निराहार निर्जल रहकर परम समाधिभावपूर्वक समस्त कर्मों का क्षय करके निर्वाण पद प्राप्त किया।
सौधर्म स्वर्ग के अधिपति इन्द्र आदि असंख्य देवों तथा भरत चक्रवर्ती आदि मानवों ने मिलकर भगवान ऋषभदेव तथा अन्य मुनियों का निर्वाण महोत्सव किया।
पदा सरोवर
1. BHAGAVAN RISHABHDEV, THE FIRST TIRTHANKAR
समुद्र
"He was the first king of this age and also the first ascetic. Who also was the first ford-maker (Tirthankar), my salutations to that Rishabh Swami."
-Acharya Hem Chandra According to the Jain measurement of cosmic time one cycle of time has two divisions. These two divisions, ascending time-cycle and descending time-cycle, have six divisions each which are called Ara (spoke). During the ascending timecycle there is a gradual improvement in physical and mental conditions, including physical strength, health, happiness and simplicity, of beings as well as climatic and life supporting conditions. During the descending time-cycle there is a gradual deterioration in these conditions.
विमानभवन
शाश
The Age of Twins
During the first three Aras of the current descending cycle man was completely dependant on nature for all his needs. The wish-fulfilling trees provided all that he needed. Man was simple, peaceful and contented in attitude. The environment was absolutely unpolluted. Water was tasteful, cold, and sweet. Even the sand was sweet as sugar. The air was healthy and exhilerating. The
आग्न
प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव
(
२९ )
Bhagavan Rishabhdev, The First Tirthankar
मल्लि
(Large) मुनिसुव्रत (Main) नमि
) अरिष्टनेमि (1) पार्श्व
महावीर
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