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________________ परिशिष्ट १३ तीर्थंकर का शारीरिक बल : एक औपमिक आकलन ध्वजा प्राणी में छिपी हुई अनन्त क्षमताओं का आविष्करण तीर्थकरत्व है। तीर्थकर अनन्त बली होते हैं। तीर्थंकर की शारीरिक क्षमताओं के गणितीय समीकरण प्राचीन ग्रन्थों में इस प्रकार मिलते हैं • बारह योद्धाओं में जितना शरीर बल होता है, उतना एक वृषभ (साँड़) में होता है। . दस वषभों में जितना बल होता है. उतना एक घोड़े में होता है। • बारह घोड़ों में जितना बल होता है, उतना एक महिष (मैसे) में होता है। पन्द्रह भैंसों में जितना बल होता है, उतना एक हाथी में होता है। पाँच सौ हाथियों में जितना बल होता है, उतना एक केशरी सिंह में होता है। दो हजार केशरी सिंहों में जितना बल होता है, उतना एक अष्टापद में होता है। • दस लाख अष्टापदों में जितना बल होता है, उतना एक बलदेव में होता है। • दो बलदेवों में जितना बल होता है, उतना एक वासुदेव में होता है। .. दो वासुदेवों में जितना बल होता है, उतना एक चक्रवर्ती में होता है। • एक लाख चक्रवर्तियों में जितना बल होता है, उतना एक नागेन्द्र में होता है। .. एक करोड़ नागेन्द्र में जितना बल होता है, उतना एक इन्द्र में होता है। • असंख्य इन्द्रों में जितना बल होता है, उसकी तुलना तीर्थंकर की कनिष्ठा.(चिट्ठी) अंगुली से भी नहीं की जा सकती। (जैन धर्म का मौलिक इतिहास, भाग १,पू. ५६३) देखो विशेषावश्यक भाष्य मूल गाथा ७०-७१ पद्म सरोवर समुद्र विमानभवन रत्न राशि निर्धम परिशिष्ट १३ ( २१७ ) Appendix 13 मल्लि मुनिसुव्रत नमि ६ अरिष्टनेमि पार्श्व महावीर Homjaimelibrary.org
SR No.002582
Book TitleSachitra Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1995
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Story
File Size13 MB
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