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प्रस्तुत कृति तीर्थंकर/अरिहंत जैन परम्परा के परम पूज्य परमाराध्य महापुरुष हैं। उनका पावन जीवन चरित्र त्याग, वैराग्य, संयम, तप, ध्यान और वीतराग साधना का दिव्य आलोक पुँज होता | है, जिससे निकलती हुई प्रेरणा और प्रकाश की निर्मल किरणे हमारे सम्पूर्ण जीवन को आलोकित कर देती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में भगवान महावीर से भगवान ऋषभदेव तक चौबीस तीर्थंकरों का प्रामाणिक जीवन वृत्त, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
इसके साथ जुड़े १३ परिशिष्टों में तीर्थंकरों के जीवन से सम्बन्धित बहुत-सी महत्त्वपूर्ण, रोचक और ज्ञानवर्द्धक सामग्री एवं तालिकाएँ भी संलग्न हैं।
तीर्थंकरों के जीवन से सम्बन्धित अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाएँ प्रसंगों को बहुरंगी भावपूर्ण चित्रों के माध्यम से जीवन्तता प्रदान करने का प्रयत्न किया गया है, जिससे तत्कालीन संस्कृति, इतिहास, परम्परा और लोक-वातावरण का साक्षात् परिचय भी मिलता है। __इस पुस्तक के प्रधान सम्पादक हैं-विद्वान् मनीषी ओजस्वी वक्ता श्री अमर मुनि जी। सम्पादन किया है-सुप्रसिद्ध जैन विद्वान् श्री श्रीचन्द सुराना 'सरस' ने। अंग्रेजी अनुवादकर्ता हैं-श्री सुरेन्द्र बोथरा।
ABOUT THIS BOOK Tirthankars are the most revered and worshipped great men in the Jain tradition. Their pious biographies are the brilliant sources of the divine light of sacrifice, detachment, discipline, penance, meditation, and spiritual pursuits. The rays of inspiration emerating out of this source fills our lives with spiritual light.
This book presents authentic life-sketches of twenty four Tirthankars from Rishabhdev to Mahavir in Hindi and English.
It also contains 13 useful appendices containing important, interesting and informative data collected with the lives of these Tirthankars.
An attempt has been made to make the narrative lively by including colourful and, attractive illustrations about important events. These illustrations also show the culture, history, tradition and folk-life of different periods.
The Editor-in-chief of this work is the eloquent orator and scholarly thinker Shri Amar Muni ji. Editor is the famous Jain-scholar Shri Srichand Surana 'Saras'. English version is by Shri Surendra Bothara.
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