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शस्त्र-परिज्ञा
प्रथम उद्देशक
आत्मा का अस्तित्व १. आयुष्मन् ! मैंने सुना है । भगवान् ने यह कहा-इस जगत् में कुछ [ मनुष्यों]
को यह संज्ञा नहीं होती, जैसेमैं पूर्व दिशा से आया हूं, अथवा दक्षिण दिशा से आया हूं, अथवा पश्चिम दिशा से आया हूं, अथवा उत्तर दिशा से आया हूं, अथवा ऊर्ध्व दिशा से आया हूं, अथवा अधो दिशा से आया हूं, अथवा किसी अन्य दिशा से आया हूं अथवा अनुदिशा से आया हूं।'
२. इसी प्रकार कुछ [ मनुष्यों को यह ज्ञात नहीं होता
मेरी आत्मा पुनर्जन्म नहीं लेने वाली है। अथवा मेरी आत्मा पुनर्जन्म लेने वाली है। मैं [ पिछले जन्म में ] कौन था ? मैं यहां से च्युत होकर अगले जन्म में क्या होऊंगा ? २
३. कोई [मनुष्य]
१. पूर्वजन्म की स्मृति से, २. पर (प्रत्यक्ष ज्ञानी) के निरूपण से, अथवा ३. अन्य (प्रत्यक्ष ज्ञानी के द्वारा श्रुत व्यक्ति) के पास सुनकर, यह जान
लेता है, जैसेमैं पूर्व दिशा से आया हूं,
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