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विमोक्ष
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विवेक ६. आशुप्रज्ञ भगवान महावीर ने ज्ञान-दर्शनपूर्वक धर्म का जैसे प्रतिपादन किया
है, [उसकी वैसी व्याख्या करे] ।
१०. अथवा [उस धर्म की व्याख्या करने में समर्थ न हो, विवाद बढ़ता हो, तो]
वाणी के विषय का गोपन करे-मौन रहे।'
११. हिंसा सर्वत्र (अन्य दर्शनों में) सम्मत है।'
१२. मुनि उसी (हिंसा) का अतिक्रमण [कर जीवन-यापन] करे।
१३. यह महान् विवेक कहा गया है ।
१४. धर्म गांव में होता है या अरण्य में ? वह न गांव में होता है और न अरण्य ___ में-तुम जानो। मतिमान् महावीर ने यह प्रतिपादित किया है।'
१५. तीन अवस्थाएं होती हैं। आर्य मनुष्य सम्बोधि को प्राप्त कर उन अवस्थाओं ___में प्रवजित होते हैं।
१६. जो हिंसा आदि कर्म करने में उपशांत होते हैं, वे अनिदान (राग-द्वेष के
बन्धन से मुक्त) कहलाते हैं।
अहिंसा
१७. ऊंची, नीची व तिरछी आदि सब दिशाओं में, सब प्रकार से जीवों के प्रति
भिन्न-भिन्न प्रकार का कर्म-समारम्भ किया जाता है।
१०. मेधावी उस कर्म-समारम्भ का विवेक कर इन सूक्ष्म जीव-कायों के प्रति
स्वयं दण्ड का प्रयोग न करे, दूसरों से न करवाए और करने वालों का अनुमोदन न करे।
१९. जो भिक्षु इट सूक्ष्म जीव-कायों के प्रति दण्ड का प्रयोग करते हैं, उनके प्रति
भी हम दया प्रदर्शित करते हैं।
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