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जयन्तीप्रकरणवृत्तिः
पाणाणं भूयाणं सत्ताणं पाणिवह १ मुसावाए पडिमाईणं जोग्गा पुच्छइ कहावसाणे पुण पुच्छेइ जयन्ती भगवइबारसमसया भन्नइ भव्वो जोग्गो भवसिद्धिया भंते ! भंते भव्वत्तं किं सभावओ ? सयलागासपएसा
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