________________
प्रथमावृत्तिनी प्रस्तावना
श्रीजयन्तीप्रकरणवृत्ति नामनो आ ग्रन्थ जे जयन्तीचरित्र तरीके ओलखाय छे, खंभातताडपत्रीयभंडारमा ताडपत्र उपर लखायेल छे, ते प्राचीन अने रसमय प्राकृतभाषाथी अलंकृत ग्रन्थ मुद्रित करावी विद्वद्जनोना करकमलमां मूकतां अमो आनन्द अनुभवीए छीए. आ ग्रन्थना सम्पादक प.पू.आचार्यमहाराज श्रीविजयकुमुदसूरीश्वरजी छे. परमकृपालु तेओश्रीए सं. १९९७नुं चतुर्मास खंभात कयुं, त्यारे ताडपत्रीय भंडारनुं सूचिपत्र बनाबतां एक मनोरथ को हतो के-आ भण्डारना पांच अमूल्य ग्रन्थो शोधी मुद्रित कराववा, तेथी प्रथम ताडपत्रीय ग्रन्थ उपमितिसारसमुच्चय जीर्णप्रत उपरथी प्रगट कराव्यो, अने बीजो ताडपत्रीय श्री रयणचूडरायचरिय प्राकृत ग्रन्थ उतारी शोधी प्रगट कराव्यो, अने त्रीजो ताडपत्रीय अममचरित्र महाकाव्य दश हजार श्लोकप्रमाण जेमां कृष्णवासुदेवना छ भवोनुं वर्णन रसमय शैलीथी करवामां आवेल छे ते फक्त एकज ताडपत्रीय प्रत उपरथी उतारी शोधी प्रगट कराव्यो, अने चोथो पासनाहचरिय दश हजार श्लोकप्रमाण अपूर्व ग्रन्थ ताडपत्र उपरथी तैयार करी करावी मुद्रित करावी बहार पाड्यो, अने पांचमो ग्रन्थ आ जयन्तीचरित्र-जयन्तीप्रकरण विवरण ग्रंथ प्राकृतभाषामय अपूर्व रसवालो ताडपत्र उपरथी शोधीने मुद्रित कराव्यो छे. आ प्रमाणे श्रीआचार्यभगवन्ते पोतानो मनोरथ पूरो कर्यो तेथी अमो वधारे हर्षने अनुभवीए छीए.
महासती जयन्ती कोण हता? एवो प्रश्न स्वाभाविक रीते वाचकना हृदयमां उत्पन्न थाय ? तो उत्तरमा जणाववान के जयन्ती महासती वच्छदेश कौशाम्बीनगरीना राजा सहनानीकनी पुत्री अने शतानीक राजना भगिनी अने तेना पुत्र उदयन राजानी फोइ हता, जीवाजीवादिकतत्वना अभ्यासी महाश्रद्धालु हता, प्रभुश्रीवीरना शासनमां साधुओने उतरवा वस्ति आपनार होवाथी प्रथमशय्यातरी तरीके प्रसिद्धिने पाम्या हता, भगवान् महावीरदेव ज्यारे कौशाम्बीनगरी पधार्या त्यारे श्री उदयराजे महाविभूतिए भगवान- सामैयुं कर्यु ते वखते उदयनराजानी साथे पोतानी माता मृगावती तथा फुई श्रीजयन्ती महासती समवसरणमां जई भगवानने वांद्या अने भगवन्तनी पावनकारी धर्मदेशना श्रवण करीने हृदयमां जीवविषयक जे
Jain Education International 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org