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प्रकाशकीय | प. पू. शासनसम्राट तपागच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज के समुदाय के प. पू. सात्त्विक शिरोमणि आचार्य भगवंत श्री विजयसूर्योदय सूरीश्वरजी महाराज के शिष्य प. पू. पंन्यास श्री नंदिघोषविजयजी महाराज की प्रेरणा से स्थापित अपनी संस्था ने जनवरी, 2000 में इनके द्वारा लिखित 'जैनदर्शननां वैज्ञानिक रहस्यो' नामक गुजराती किताब प्रकाशित की थी । इसके बाद जून, 2001 में उपर्युक्त किताब की ही अंग्रेजी आवृत्ति भी प्रकाशित की गई थी । ये दोनों किताबें जैनदर्शन व विज्ञान में रुचि रखनेवाले विद्वज्जनों ने बहुत सराही ।
ये दोनों किताबें विद्ववभोग्य होने से सामान्य लोगों की इच्छा थी कि हमारे जैसे सामान्यज्ञानवाले लोगों के लिये सरल भाषा में और विज्ञान की अतिगहन परिभाषा व चर्चा से मुक्त किताब प्रकाशित हो तो अच्छा होगा । इस बात को ध्यान में रखते हुए हमारी संस्था ने 'जैनदर्शननां वैज्ञानिक रहस्यो ' नामक गुजराती पुस्तक का संक्षिप्त हिन्दी संस्करण 'जैनधर्म विज्ञान की कसौटी पर ? या विज्ञान जैनधर्म की कसौटी पर ?' नाम से प्रकाशित कर रही है । गुजराती में भी यह प्रकाशित हो चुकी है ।
प. पू. पंन्यास श्री नंदिघोषविजयजी महाराज के मार्गदर्शन व प्रेरणा अनुसार हम आंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना करना चाहते हैं । उससे पूर्व हम इस प्रकार की सैद्धांतिक व प्रायोगिक अनुसंधानयुक्त किताबों का प्रकाशन कर रहें हैं । हमारी इन किताबों को आइ. एस. बी. एन. नंबर भी प्राप्त हुये हैं ।
हमारे ट्रस्ट की ओर से यह छट्ठा प्रकाशन है । हमें आशा है कि यह प्रकाशन जैन व जैनेतर लोगों में मान्य व आदरणीय बनेगा । इस प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान और ग्रंथ प्रकाशन के महान भगीरथ कार्य में हमें आर्थिक सहयोग देनेवाले श्री पार्श्व पद्मावती श्वे. मू. पू. जैन संघ, पारुलनगर, अमदावाद ने हमारी संस्था के लिये नींव का कार्य किया है उनका तथा आर्थिक सहयोग देनेवाले अन्य संघ, ट्रस्ट व श्रावक सद्गृहस्थों के भी हम ऋणी हैं । साथ-साथ इसी ग्रंथ का सुंदर व स्वच्छ मुद्रण करने वाले देवर्ष प्रिन्टर्स के मालिक श्री योगेशभाई गांधी का आभार मानते हैं ।
वि. सं. 2061
वैशाख शुक्ल - 14, रविवार 122 मई, 2005
अध्यक्ष भारतीय प्राचीन साहित्य वैज्ञानिक रहस्य अनुसंधान संस्था, अमदावाद 380061
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