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________________ KALLAKLAKUKAWALALALALALALALALALALALA पूजनम्- ॐ ह्रीं श्रीं जिनशासन - श्री द्वादशांग्यधिष्ठात्रि। श्री सरस्वती देवि। इमां पूजां प्रतीच्छ प्रतीच्छ नमः श्री सरस्वत्यै स्वाहा ॥ श्री सरस्वती स्तव (श्री चिरंतनाचार्य रचित): सकलमंगल वृद्धि विधायिनी, सकल सद्गुण संतति दायिनी। सकल मञ्जुल सौरव्य विकाशिनी, हरतु मे दुरितानि सरस्वती॥ अमरदानव मानव सेविता, जगति जाड्यहरा श्रुत देवता। विशद पक्ष विहंग विहारिणी, हरतु मे दरितानि सरस्वती॥ प्रवर पंडित पुरूष पूजिता, प्रवरकांति विभूषण राजिता। प्रवरदेह विभाभर मंडिता, हरतु मे दुरितानि सरस्वती॥ सकल शीतमरीचिसमानना, विहित सेवक बुद्धि विकाशना। घृतकमण्डल पुस्तक मालिका, हरतु मे दुरितानि सरस्वती॥ सकलमान संशय हारिणी, भवभवोर्जित पाप निवार्रिर्णी। सकलसदगुण संतति धारिणी, हरतु में दुरितानि सरस्वती॥ प्रबल वैरिसमूह विमर्दिनी, नृपसभादिषु मान विवद्धिनी। नतजनोदित संकट भेदिनी, हरतु मे दुरितानि सरस्वती॥ सकलसद्गुणभूषित विग्रहा, निजतनुद्युतितर्जित विग्रहा। विशदपवस्त्रधरा विशदर्ति, हरतु मे दुरितानि सरस्वती॥ भवदवानल शांति तनूनपा, द्वितकैरकृति मंत्र कृतकृपा। भविकचित्त विशुद्धि विधायिनी, हरतु मे दुरितानि सरस्वती॥ JALALA LAAKAKAKAAKAKAKAKAKILAAKAKAKAXLAXAA TAAL Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002544
Book Title24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages90
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size7 MB
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