SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ WWWWWWWWWWWWW Moodi एवं आकाश- ये तत्व विषम न बन जाये तथा देह में संतुलन बना रहे - इसके लिये पूर्वाचार्यों-ऋषि-मुनियों ने पाँच तत्वों के पाँच मंत्रबीज निर्धारित किये है। प्रत्येक मंत्रबीज संलग्न तत्व से संबंधित होने से उन पर नियंत्रण स्थापित करता है। मंत्र : "क्षि पॐ स्वाहा" प - क्षि - दोनों जानु (घुटनों) पर - पीले वर्ण की कल्पना सहित स्थापित करना। नाभि पर - श्वेत वर्ण की कल्पना सहित स्थापित करना। हृदय पर - लाल रंग की कल्पना सहित स्थापित करना। स्वा - मुँह पर - आसमानी रंग की कल्पना सहित स्थापित करना। हा - मस्तष्क पर - श्याम वर्ण की कल्पना सहित स्थापित करना। (दोनो हाथों के पंजों से आरोह-अवरोह क्रम से संबंधितबीजाक्षरों को संबंधित अंग पर स्थापित करना३ बार) ANIANEAKEATHEATREATMEATHEATKEAKEATREATREALHEATHEATREATHEATHEATREATHEATREATKEATHEATREATKLAIMER (ड) अंग न्यास : (देह तंत्र को चैतन्य एवं पवित्र बनाने की क्रिया) भान्सास ािााापार XVIVIXVIIVILVAILYMY VAN VITY VIVIXVIIIVivini NCERTONE RERATION Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002544
Book Title24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages90
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy