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बृहत्कल्पभाष्यम्
४५. देवद्रोणी देवद्रोणी की गायें चरने चली गई। उनमें से एक वृद्ध गाय मर गई। भीलों ने उसे खा लिया। गोपालकों ने देवद्रोणी परिचारक से सारी बात निवेदन की। उसने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया और कहा कोई बात नहीं खा गए तो खा गए। परिणाम यह आया कि धीरे-धीरे भील स्वयं गायों को मारकर खाने लगे और देवद्रोणी नष्ट हो गई।
देवद्रोणी की गायें चरने गयी। उनमें से एक वृद्ध गाय मर गई। भीलों ने उसे खा लिया। गोपालकों ने देवद्रोणी परिचारक से सारी बात निवेदन की। परिचारक ने बात पर ध्यान दिया और भील पल्ली को बंदी बना दिया। जिससे गायों का विनाश नहीं हुआ।
गा. ९९३ वृ. पृ. ३१२
४६. मद्यपायी एक मनुष्य न मद्य पीता और न मांस खाता लेकिन उसकी संगत मद्य पीने वालों और मांस खाने वालों से थी। एक दिन उन सबने मिलकर उसे मद्य पीने के लिए प्रेरित किया और कहा-देखो मद्य पीने में क्या दोष है? वह निर्जीव है। उसे शपथ दिला दी। उसने लज्जित होकर एकान्त में जाकर थोड़ा-सा मद्यपान किया। धीरे-धीरे उसकी वृत्ति का विस्तार हो गया। कुछ दिन बाद लज्जा रहित होकर लोगों के मध्य में, मार्ग में मद्य पीना प्रारंभ कर दिया।
वह मद्य चनें, पापड़ आदि के साथ पीता था। साथ रहने वालों ने कहा-मांस बिना मद्यपान कैसा? उसे मांस के लिए प्रेरित किया और कहा मांस खाने में क्या दोष है? हम तो किसी प्राणी को मारते नहीं हैं। सबने बारबार उसे कहा। उसने भी सोचा-मांस खाने में क्या दोष है ? उसने मांस खाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे आसक्त
और कठोरचित्त वाला हो गया। उसके परिणाम हिंसक हो गए। अब वह स्वयं प्राणियों को मारकर खाने लगा। निर्दयी बन गया।
गा. ९९४ वृ. पृ. ३१२
४७. कच्ची मूंग
एक स्त्री मूंग के खेत में बैठी थीं, वह कच्ची मूंग की फलियां खा रही थी। उधर से राजा आखेट खेलने गया। वापस आखेट खेलकर आया तब भी उसने देखा कि वह स्त्री मूंग की फलियां खा रही है। राजा को आश्चर्य हुआ, उसने सोचा यह स्त्री कब से ही फलियां खा रही है? न जाने कितनी फलियां खा गई होगी? इस कुतूहल वश राजा ने स्त्री के पेट को चीर डाला। उसने देखा पेट में तो फेनरस (झाग ही झाग) है।
गा. ९९४ वृ. पृ. ३१३
४८. चार ब्राह्मण
चार ब्राह्मणों ने अध्ययनार्थ विदेश के लिए प्रस्थान किया। उन्होंने एक शाखापारक को देखा। उससे पूछा-तुम कहां जा रहे हो? वह बोला-जहां तुम जा रहे हो वहीं मैं जा रहा हूं। वे सब एक साथ प्रत्यन्त गांव से होते हुए अटवी के पास पहुंच गए। वहां सार्थ की प्रतीक्षा करने लगे। एक सार्थ मिल गया। सब उसके साथ हो
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