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________________ क० १२, ३-१०, १, १-२] तेरहमो संघि साहिउ अरि-अक्खोहणि-सहासु एत्तडिय सङ्खणरवर-वलासु ॥२ रह-तरय-गइन्दह णाहिँ छेउ उंबहइ पयाणउ पवण-वेउ ॥३ थिय ॲग्गिम-वेल्लि-महाविसालें रेवा-विञ्झईरिहिँ अन्तरालें ॥४ अत्थर्वणहों दुक्कु पयङ्गु ताम अल्लीण पासु णिसिअर्ड य (2) णाव ॥५ वैरि-सग्ग-वर्थ 'सीमन्त-वाह णक्खत्त-कुसुम-सेहर-सणाह ॥ ६ 'कित्तिय-चच्चङ्कियं-गण्डवास भग्गव-भेसँइ-कण्णावयंस ॥७ वहुलञ्जण ससहर-तिलय-तार जोण्हा-रोलिर-हार-भार ॥८ णं पञ्चेवि "दिट्टि दिवायरासु णिसि-बहु अल्लीण णिसायरासु ॥ ९ ॥घत्ता ॥ विणि वि दुस्सीलें-सहावइँ 'मा दिणयरु कहि मिणिएसई' सुरउँ स ई भु अन्ताई। णाइँ स-सङ्कइँ सुत्ताई ॥१० 10 इय इत्थ प उ म च रिए धणञ्जयासिय-स यम्भु एव-कए । क इला सुद्ध र ण मिणं तेरसमं साहियं पवं ॥" ॥ प्रथमं पर्व ॥ [१४. चउदहमो संधि] विमलें विहागऍ कियऍ पयाणऍ उययइरि-सिहर रवि दीसइ। 'मई मेल्लेप्पिणु णिसियरु लेप्पिणु कहिंगयणिसि'णाइँगवेसंइ॥१॥ [१] सुप्पहार्य-दहि-अंस-रवण्णंउ कोमल-कमल-किरण-दल-छण्णउँ ॥१. जय-हरें पइसारिउ पइसन्तें णावइ मङ्गल-कलसु वसन्तें ॥ २ 3 P S साहिअ. 4 A गयंदह, s गई. दहु. 5 P A °विंझइरिहे, विंझारिहि. 6 5 अस्थदणह. 7 PS णिसियडेण. 8 A धरमग्गवच्छ. 9 PS °चकंकिय.. 10 PS "वतंस, 11 P S A वंचिवि. 12 P दि. 13 P S णं ससहरासु. 14 P दुसील'. 15 PS सरहसई. 16 A णिएसइ. 17 S भुत्ताइ. 18 This Gatha is wanting in P. 19 सवं. 20s प्रथमपर्वः. ____1. 1s दीसइं. 2 A गवेसई. 3 A सुप्पहाउ दहिं फंस. 4 P A °रवपणउं. 5 PA छण्णउं.6 SA जयहरु. २ आकाशे गच्छति. ३ अभिनव-वल्ली. ४ उपरि-स्वर्गाऽश्वाः (?). ५ दिगन्तर एव हस्तौ यस्याः. ६ कृत्तिका. ७ शुक्रः. ८ बृहस्पतिः. ९ तिमिरम्. [१] १ शोभनप्रभातः, सैवातिशयेन दधि-अंशकः, आदित्यः कलशचाभूत् . २ जगद्गृहे. पउ० चरि० 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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