SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org सिंघी जैन ग्रन्थमाला ] A: Amer. MS. (see Intro. pp. 2–3) PANA है तक सक वो निणयनुषा यो म चरिय से से पुलिस मेगातियापराये लुधवलस्य को गुणे वलिउजप 'तरवाल एवासक घला रास मुंब्रेटी वायर रकमे ग्रागमप्रगोयमाणवियड पजाति ऊयण राय नुधवेली जिगति वेव देई कह तरंग चमुदयपणे वाणिक माणतिय सयनुरयापदनितरियं महल रिय॥ स विमुयाय जरस्यच व दिग्ररक राइति स्कतिकश्रायस्ममु पुसुयव सुइग सेल अतिप्रणमयं तु जग होइन पदो सिरियनुदेवस्स । कां कलंकवित्ते तोप बाँकी समुह र ॥ जगाउछेद डॉम लिस्सा तिङयाप संयं तुल ताण 3 | तो पडूडिया क ई मि रिपेचनिको समाज ॥ मनो विजो। गिएहु इणियताय विदत्तदब सत्ता । तियापमयं पुपुग हि टांक इत्तत्रागातिय सामर्य तुमेव मोनू सर्य लुकच मय रह रे।।को तर इंगडमेत मेलिस्स सीमाएं चारुपोमचरियं सुवे परश्यं स मन्त्री तिरुयण सूर्य तुगात स्ममा नियपरिक्षन मिग वे तिम्यरितंकर दारिन मित्य मायनाद्या पेया या रामो युग मित्युक्तं ते न वेष्टितेरामस्थबोधप् निशृणोतिजनन स्पा युद्धर्द्धि माया पुण्यवाश्रलङ्ग दस्ता विपुर विणकरोति र सुप समेति ॥मो विरमुधसिविकवायत पयव, यपोमचरियाव से सो संपुष्प बंद लडस पुगोई दमयनसूय ऐतविरइयां वेदश्पमत पयस्ववदा पनिया सयं सुरश्यामहण ये। वेदश्यणागसि "विद्यालय हुइल द्वय समूहस्सा बारो गतस सिद्धी सेति सुह हो सबस्स ||सन्न महासंगंगा तिरयण रामकायाणमयेनुज तियापरि उवेदश्य माल पडता रात दाट का६० विहलोलराज्य [ पउमचरिउ Last folio (No. 357), recto and verso: see Intro. pp. 124 and 3. २७
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy