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पउमचरिउ
१,१२,१-९३,१-७
॥ घत्ता ॥ रहु वाहेंवि अरुणु हय हर्णेवि पुणु जा जोयणु विण पावइ । ता मेरुहें भवि जिणवरु णवेवि तहिँ " पडीवउ आवइ ॥९
[२] । तहों जं वलु तं ण पुरन्दरहों ण कुवेरहों वरुणों ससहरहों ॥१
मेरु वि टालइ वद्धामरिसु तहों अण्णु णराहिउ तिण-सरिसु ॥२ कइलास-महीहरु कहि मि गउ तहिं सम्मउ णामें लइउ वउ ॥ ३ । णिग्गन्थु मुएवि विसुद्ध-मइ अण्णहों इन्दहाँ वि' णाहिँ णमइ ॥४
तं तेहउ पेक्खेवि गीढ-भउ पवज लेवि गउ सूररउ ॥५ 10 'महु होसइ केण वि कारणेण समरङ्गणु समउ दसाणणेण' ॥ ६
अवरेक्के वुत्तु 'ण ईमु घडइ कइवंसिउ किं अम्हहुँ भिडई ॥७ ५. सिरिकण्ठहाँ लग्गैवि मित्तइय, अण्णु वि उवयार-सएहिँ लइय ॥ ८
॥ घत्ता ॥ अहवइ वाणर वि सुरवर-णर "वि रत्तुप्पल-दल-णयणहाँ। Is ता सयल वि सुहड जा समर-ज्झर्ड णउ णिएन्ति दहवयणहाँ ॥९
[३] तं वालि-सल्लु हियवऍ धेरैवि तो रावणु अण्ण वोल्ल करेंवि ॥१ गउ एक-दिवसें सुर-सुन्दरिहें जा अवहरणेण तणूयरिहें ॥ २
ता हरविणीय कुल-भूसणेहिँ चन्दणहि ह(व?)रिय खर-दूसणेहिँ ॥३ 20 णासन्त णिएवि सहोयरेण णयरेणालङ्कारोदएण ॥ ४
णं उवरें छुहॅवि रक्खिय-सरण किय(?) तेहि मि चन्दोवर-मरणु ॥५ विणिवाइउ अत्थाणे जे थिउ जो दुक्किउ सो तं वारु णिउ ॥६ कुढे लग्गउ जे रणियर-वलु रह-तुरय-णाय-णरवर-पवलु ॥ ७ 11 P A तहि, s wanting. 12 s wanting.
2. 1 The middle portion of the folio in P giving the rest of this Kadavaka and the next Kadavaka is repaired and rewritten in a clumsy hand. Therein initially only न appears. 2 PS णाहि. 3 SA णवइ. 4 P S गीढवउ. 5 P न इउ, ण येउ. 6 PS किह अह्मह.7s भिडई. 8 P उअयार'. 9 s सुरवर वि. 10 P भड, A °झडाणउ.
3. 1s सल्ल. 2 P S A हियवइ. 3PS सो. 4 P S अण्णु, A अन्न. 5 P marginally adds णु to वोल्ल. 6 s चंदणवि. 7 P महोदएण, A सहोयरिण. 8 P S रोदणेण. 9 A उयरि. 10 A चंदोयर'. 11 PS °णरपवरपवलु.
[२] १ सम्यक्त्व-नामा व्रतं गृहीतम्. २ (P's reading ) संवरितं शरीरम् . |३1१(P's reading ) महोद्यतवन्तः (?). २ पाताललङ्कया. ३ कृत. ४ विनाशं नीतः।
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