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________________ ८२ 15 • जं चित्तु ण सक्कड अवहरेंवि दरिसाव सल वि वन्धुजणु कस-घाऍहिँ घाइज्जन्तु वर्णे रयणास ककसि चन्दणहि तो सरणु भणेवि पडिव (र) क्ख करें" " तं पुरिसयारु किं" वीसरिउ अह भाणुक करें चारहडि अहों धरहि विहीसण जत्ताइँ पउमचरिउ ॥ घन्ता ॥ दस-दस " -वहु अन्धार करेंवि ओरुम्भवि" गज्जॅवि उत्थरेंवि" । गिरि-मत्थऍ वासारन्तु जिह ॥ ९ [१०] उ फिलु सो उवसग्गु किह rs ara aor माय धरेवि ।। १ कलु कन्दन्तु विसण्ण- मैणु ॥ २ 'णिवडन्तुट्ठन्तइँ' खणें जें' खणें ॥ ३ हम्मत जई ण अम्हे गणहि " ॥ ४ रिउ मारइ लग्गईं पुत्त धेरें " ॥ ५ णव- वयणु जेण कण्ठर धरिउ ॥ ६ सिरि भञ्जहि लग्गउ छार - हडि ॥ ७ वर्णे" मेच्छहिँ पिट्टिज्जन्ताइँ ॥ ८ 17 अरें" पुत्तों उ पडिरक्ख किया सो" णिष्फलु सयलु किलेस गाउँ जं केण वि उ साहारियउ पुणु तिहि मि जहुँ दरिसावियंउ वि चलिउ तो वि तहों झाणु थिरु 2. अग्गऍ घत्तिउ अविचल - मणहँ 'तं णिऍवि सीसु रुहिरारुणउ णिद्धइँ सुद्धइँ थिर- जोयणइँ ॥ घन्ता ॥ जं लालिय पालिय वह्नविय । जिह पाव धम्मु विक्खिय ' ॥९ [११] तं तिणि वि जक्खें मारियंउ ॥ १ सिव-साण- सिवालेंहिँ खावियंउ ॥ २ माया - रावणड करेवि सिरु ॥ ३ भाइहिँ रविकण्ण-विहीर्सणहँ ॥ ४ ते झाणों चलिय मणामणउ ॥ ५ "ईसीसि पगलियइँ लोयणइँ ॥ ६ 18 P दिसिहिं, s दिशि 19 P s जिवि. 20 उत्तरे वि. S 10. 1 PA कलुणउं. 2s कंदंति 3s विषण्णु मणु. 4s कसघायहि, A कसघाएहि. 5 PSA 'तु. 6P A जि. 7s स्यणासउ. 8 P A चंदणहिं, s चंदणेहिं. 98 हम्मतइ, A हम्मत हूं. 10s तेयं. 11s वर्णाहिं, 4 गणहिं. 12 PA करि. 13 Ps लगाउ 14 PSA धरि. 15s कें. 16s भाणकपण. 17s वण. 18 P A पिट्टिजंताहि, s पिष्टिअंताइ. 19 A अरि. 20 IS A पडिवक्ख. 21 Psतं. 22 A किड. 23 P विआरकड, A विवाह किउ. [९] १ मेघः. [११] १ मनाक् मनः ( 2 ). [क०९, ९, १०, १ - ९; ११, १-६ 11. 1 A साहारिआउ 2 PA मारिभउं 34 दरिसाविञउं 4A खाविअडं. 5 A चलिडं. 6 PSA ° रावणउं. 7 P मिरु. 8 A रावणहं. 9 P तें. 10 P A मणामणउं. 11 PA सुद्धए, 8 सुद्धद्द. 12 P इसी सि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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